रांची:
शेल कंपनियों को लेकर मंगलवार को झारखंड हाईकोर्ट में सुनवाई हुई। सुनवाई के दौरान ईडी द्वारा पेश सीलबंद लिफाफे के दस्तावेज कोर्ट के सामने खोले गये। सुनवाई के दौरान सेल कंपनी मामले में हाईकोर्ट ने निर्देश दिया है कि मनरेगा से जुड़ी 16 एफआईआर की डिटेल रिपोर्ट कोर्ट के समक्ष पेश किया जाये। सुनवाई में राज्य सरकार की तरफ से वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल, महाधिवक्ता राजीव रंजन, अधिवक्ता पीयूष चित्रेश ने जिरह की।
किसकी तरफ से किसने रखा पक्ष!
ईडी की तरफ से अधिवक्ता तुषार मेहता और सीबीआई की तरफ से एएसजीआई प्रशांत पल्लव और अधिवक्ता पार्थ जालान ने हाईकोर्ट में पक्ष रखा। मुख्यमंत्री की तरफ से वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने और हाईकोर्ट के अधिवक्ता अमृतांश वत्स ने पक्ष रखा।
इस दौरान कोर्ट ने याचिकाकर्ता के वकील से पूछा कि इस मामले की जांच सीबीआई को क्यों दिया जाना चाहिए, जबकि इस मामले में किसी तरह की प्राथमिकी ही दर्ज नहीं की गई है। इस पर राजीव कुमार ने कहा कि जनहित से जुड़ा मुद्दा है इसलिए कोर्ट जांच का आदेश पारित कर सकती है।
पूजा सिंघल प्रकरण से जुड़ा है मामला
राजीव कुमार ने अदालत को जानकारी दी है कि मामला पूजा सिंघल प्रकऱण से भी जु़ड़ा है। ईडी की तरफ से कोर्ट में उपस्थित वरिष्ठ वकील तुषार मेहता ने कोर्ट को बाया कि साल 2010 में 16 प्राथमिकी दर्ज की गई थी। इसके बाद ईडी ने अपनी जांच में पाया कि करोड़ों रुपये पूजा सिंघल के पास हैं। पूजा सिंघल को मिलने वाली रिश्वत की रकम सत्ता में शीर्ष पर बैठे लोगों तक पहुंचाई जाती थी।
रिश्वत के पैसों को शेल कंपनियों के माध्यम से मनी लाउंड्रिंग में लगाया जाता था। पूछताछ में कई लोगों ने स्वीकार किया कि मनी लाउंड्रिंग हो रही थी। पर्याप्त आधार है कि मामले की जांच सीबीआई को करनी चाहिए।
वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये सुनवाई हुई
गौरतलब है कि जांच के दौरान एक व्यक्ति द्वारा मनी लाउंड्रिंग के लिए इस्तेमाल होने वाली कंपनियों की लिस्ट दिए जाने की जानकारी सामने आई है। जनहित याचिका पर हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस रविरंजन और जस्टिस सुजीत नारायण प्रसाद की बेंच में वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये सुनवाई हुई। हाईकोर्ट ने मामले में सीएम सहित अन्य मामलों की सुनवाई के लिए 19 मई की तारीख तय की है।