रांची:
भ्रष्टाचार और मनी लॉन्ड्रिंग केस में गिरफ्तार ग्रामीण कार्य विभाग के निलंबित चीफ इंजीनियर वीरेंद्र राम और पूर्व अभियंता रास बिहारी सिंह को फिर से नोटिस जारी किया जाएगा। सोमवार को पंकज कुमार यादव की जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए झारखंड हाईकोर्ट ने यह निर्देश दिया। पीआईएल में वीरेंद्र राम की संपत्ति की सीबीआई जांच कराने की मांग की गई है।
वीरेंद्र राम मनी लॉन्ड्रिंग केस की जांच ईडी के पास
पहले सुनवाई में पार्थी के अधिवक्ता राजीव कुमार ने कोर्ट को बताया था कि वीरेंद्र राम से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग केस की जांच ईडी कर रही है। वीरेंद्र राम की 39.28 करोड़ रुपये की संपत्ति अटैच की गई है। वहीं, रासबिहारी सिंह का मामला 2017 से ही एसीबी के पास जांच के लिए लिंबित है। पार्थी ने कोर्ट को यह भी बताया था कि जेई सुरेंद्र प्रसाद के जमशेदपुर स्थित आवास से वर्ष 2019 में 2.5 करोड़ रुपये बरामद किएगए थे। जांच से पता चला कि पैसे आलोक रंजन के हैं जो वीरेंद्र राम का रिश्तेदार है। पार्थी का कहना है कि मामले में केवल सुरेश प्रसाद को जेल भेजा गया।
जमशेदपुर में बरामद राशि का असली मालिक कौन था
पार्थी का कहना है कि इतनी बड़ी राशि किसकी है यह विजिलेंस टीम को कभी पता ही नहीं चल पाया। आरोप है कि मामले में एसीबी ने कोई कार्रवाई नहीं की। यहां तक कि आईटी विभाग को भी सूचित नहीं किया गया। दावा है कि जेई से घर से मिला पैसा दरअसल, वीरेंद्र राम का था लेकिन तब कोई कार्रवाई नहीं की गई।
2019 में एसीबी की टीम ने की थी बड़ी कार्रवाई
बता दें कि नवंबर 2019 में ग्रामीण कार्य विभाग के तात्कालीन जेई सुरेश प्रसाद को 10,000 रुपये रिश्वत लेते हुए गिरफ्तार किया गया था। गिरफ्तारी के बाद उनके जमशेदपुर स्थित आवास में छापेमारी के दौरान 2.44 करोड़ रुपये की बड़ी रकम बरामद हुई थी। सुरेश प्रसाद को जेल भेज दिया गया। पार्थी का आरोप है कि मामले में उत्तरोत्तर कार्रवाई नहीं की गई और बड़ी मछलियां बच गईं।