रांची:
हाईकोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि राज्य सरकार के भू-राजस्व विभाग को एक समिति बनाने का निर्देश दिया जो टैगोर हिल के बाउंड्री की मापी करेगी। इसे पुन इसके वास्तविक रूप में लाया जाएगा। सर्वेक्षण के लिए बनने वाली समिति में रांची के उपायुक्त द्वारा मनोनित सदस्यों को शामिल किया जाएगा। हाईकोर्ट ने साथ ही सरकार से टैगोर हिल में महिला, पुरुष, दिव्यांग और ट्रांसजेंडरों के लिए अलग-अलग शौचालय की व्यवस्था करने को कहा है। टैगोर हिल को प्लास्टिक मुक्त क्षेत्र घोषित करने का निर्देश भी दिया गया है। हाईकोर्ट ने कहा कि पर्यटकों के लिए वहां पेयजल की व्यवस्था होनी चाहिए।
केंद्र ने राष्ट्रीय धरोहर घोषित करने लायक नहीं माना
गौरतलब है कि इससे पहले इस मामले में हाईकोर्ट में सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार ने कहा था कि टैगोर हिल का ब्रह्म मंदिर राष्ट्रीय धरोहर घोषित करने योग्य नहीं है। केंद्र सरकार ने तर्क दिया था कि ब्रह्म मंदिर राष्ट्रीय धरोहर होने की बुनियादी शर्तों को पूरा नहीं करता। वहीं, राज्य सरकार का पक्ष रख रहे महाधिवक्ता आशुतोष आनंद ने कोर्ट में कहा कि पुरातत्व विभाग की स्वीकृति के बाद राज्य सरकार ने वहां रखरखाव के लिए 69,30,000 रुपये का फंड दिया था।
कविगुरु रवींद्रनाथ टैगोर के बड़े भाई ने कराया था निर्माण
वहीं, पार्थी के अधिवक्ता शैलेश पोद्दार ने कोर्ट में कहा कि टैगोर हिल स्थित ब्रह्म मंदिर 113 वर्ष पुराना है। इसका निर्माण कविगुरु रवींद्रनाथ टैगोर के बड़े भाई ज्योतिंद्र नाथ टैगोर ने बनवाया है। दुखद बात है कि 100 साल पुराना यह ब्रह्म मंदिर जीर्ण-शीर्ण अवस्था में पड़ा हुआ है। धीरे-धीरे टूट रहा है। इसे संरक्षण की जरूरत है।