रांची:
भोजपुरी, मगही और अंगिका को लेकर हो रहे भाषा विवाद पर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन गंभीर हैं। जिलों में स्थानीय भाषा का दर्जा देने वाली सूची से मगही, भोजपुरी और अंगिका को हटाने के संदर्भ में सीएम से बातचीत हुई है। यह बातें राज्य के शिक्षा मंत्री जगरनाथ महतो ने कहीं हैं। उन्होंने कहा कि कुछ लोग जानबूझकर भाषा का आंदोलन खड़ा कर रहे हैं।झारखंड में किसी भी कीमत पर बाहरी भाषा को कानूनी दर्जा नहीं दिया जाएगा।
भाजपा और आजसू दोमुंहा सांप
भोजपुरी, मगही और अंगिका को लेकर भाजपा-आजसू का स्टैंड स्पष्ट नहीं है। ये दोनों पार्टियां जनता को दिग्भ्रमित करती हैं। झारखंड में ये लोग भोजपुरी-मगही को दर्जा दिलाने के लिए लड़ाई लड़ते हैं। सदन तक नहीं चलने देते। और यही लोग दिल्ली जाकर मगही-भोजपुरी को हटाने की बात करते हैं। दोनों पार्टियां दो मुहाँ सांप की तरह हैं।
रोजगार-व्यापार करें मगही-भोजपुरी भाषी
जगरनाथ महतो ने कहा कि मगही और भोजपुरी भाषी लोग यहां अपना रोजगार-व्यापार करें। इससे झारखंडियों को कोई आपत्ति नहीं है। लेकिन वो हमारा हक-अधिकार छीनेंगे तो विरोध होगा।