रांची:
झारखंड के डीजीपी नीरज सिन्हा रविवार को झारखंड-छत्तीसगढ़ की सीमा पर स्थित बूढ़ा पहाड़ पहुंचे। डीजीपी ने यहां नक्सल विरोधी अभियान में लगे जवानों को पुरस्कृत कर उनकी हौसला-अफजाई की। डीजीपी ने यहां सुरक्षाबलों द्वारा स्थापित कैंपों का भी निरीक्षण किया। डीजीपी ने स्थानीय ग्रामीणों से मुलाकात की और उनके बीच रोजमर्रा के कामों में इस्तेमाल होने वाली चीजों का वितरण किया। डीजीपी ने ग्रामीणों से कहा कि इलाके का विकास होगा और सुरक्षाबल के जवान आपकी सुरक्षा करेंगे। इस दौरान डीजीपी ग्रामीणों की समस्या से अवगत हुए और निराकरण का भरोसा दिया।
उग्रवाद के खिलाफ जारी रहेगा अभियान!
डीजीपी नीरज सिन्हा ने कहा कि राज्य में उग्रवाद के लिए कोई जगह नहीं है। उग्रवाद पर चौतरफा हमला जारी रहेगा। उन्होंने कहा कि सुरक्षाबलों को नक्सल विरोधी अभियान में उल्लेखनीय कामयाबी मिली है। सुरक्षाबलों का आक्रामक रूप देख नक्सली लीडर मैदान छोड़कर भाग खड़े हुए हैं। डीजीपी ने कहा कि नक्सल विरोधी अभियान में जवानों के मनोबल और इच्छाशक्ति का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि बारिश, तीखी धूप या आंधी-तूफान में भी अभियान थमा नहीं। डीजीपी ने कहा कि अभियान के दौरान कई बार सुरक्षाबलों को भी नुकसान पहुंचा लेकिन अभियान नहीं रूका।
नक्सलियों के खिलाफ मिली है बड़ी कामयाबी
गौरललब है कि बीते कुछ वर्षों से झारखंड में नक्सलियों के खिलाफ अभियान चलाया जा रहा है। एक तरफ तो सुरक्षाबलों और नक्सलियों के बीच सशस्त्र संघर्ष जारी है वहीं दूसरी ओर नक्सलियों को मुख्यधारा में लौटने के लिए भी प्रेरित किया जा रहा है। बीते कुछ वर्षों में दर्जनों नक्सलियों ने पुलिस के सामने आत्मसमर्पण किया और मुख्यधारा में लौटने की इच्छाशक्ति दिखाई है। नक्सल विरोधी अभियान के दौरान आने वाली मुश्किलों का जिक्र करते हुए डीजीपी नीरज सिन्हा ने कहा कि नक्सलियों ने पहाड़ तक पहुंचने वाले हर रास्ते में आईईडी बम बिछा रखे थे लेकिन बीते 1 साल से रणनीति पूर्वक चलाए गए अभियान से फायदा मिला है। मुख्य रूप से ऑपरेशन ऑक्टोपस कारगर साबित हुआ। डीजीपी ने कहा कि बीते कई दशक से चले अथक प्रयास के पश्चात नक्सलियों के कब्जे में रहे बूढ़ा पहाड़ को लगभग मुक्त करा लिया गया है।
डीजीपी नीरज सिन्हा ने किया कैंप का दौरा
बूढ़ा पहाड़ में सुरक्षाबलों द्वारा बनाए गए कैंप का निरीक्षण करने के पश्चात डीजीपी नीरज सिन्हा ने कहा कि नक्सली यहां दोबारा अपना ठिकाना ना बना पाएं, उसके लिए जरूरी है कि सुरक्षाबलों का कैंप स्थापित रहे। डीजीपी ने कहा कि इलाके में ग्रामीणों के लिए स्कूल, अस्पताल तथा सड़क सहित अन्य बुनियादी एवं मूलभूत सुविधा का निर्माण कार्य शुरू हो गया है।
डीजीपी के साथ कई वरीय अधिकारी भी थे मौजूद
डीजीपी नीरज सिन्हा के साथ एडीजी अभियान संजय आनंद लाटकर, सीआरपीएफ के महानिरीक्षक अमित कुमार, पुलिस महानिरीक्षक अभियान अमोल होमकर और एसपी शिवानी तिवारी ने भी बूढ़ा पहाड़ का दौरा किया। यहां अधिकारियों ने जवानों के साथ मिलकर फरार नक्सली नेताओं के खिलाफ रणनीति बनाई। डीजीपी ने कहा कि बूढ़ा पहा़ड़, झारखंड और छत्तीसगढ़ के सीमावर्ती इलाकों में सक्रिय वरीय माओवादी नेताओं की शरणस्थली रहा है। यहीं से माओवादियों के पोलित ब्यूरो और सेंट्रल कमिटी के सदस्य विध्वंसक कार्रवाई की रणनीति बनाकर घटना को अंजाम देते थे।
सुरक्षाबलों को मिली है बड़ी कामयाबी
गौरतलब है कि ऑपरेशन ऑक्टोपस के दौरान बीते 4 और 5 सितंबर को सुरक्षाबलों को नक्सलियों के खिलाफ बड़ी कामयाबी मिली थी। कोबरा, झारखंड जगुआर, सीआरपीएफ तथा चतरा एवं गढ़वा पुलिस के जवानों की संयुक्त टीम ने रणनीति के तहत पहले तो बूढ़ा पहाड़ के निचले इलाकों में कैंप स्थापित किए। धीरे-धीरे आगे बढ़ते गए। बीते 4-5 सितंबर को नक्सलियों के बड़े बंकर पर सुरक्षाबलों का कब्जा हो गया। सुरक्षाबलों को यहां अलग-अलग तरह के 106 लैंडमाइंस के साथ-साथ भारी मात्रआ में हथियार, कारतूस औऱ विस्फोटकों का जखीरा मिला था। सुरक्षाबल ने बंकरों को ध्वस्त कर दिया।