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दिल्ली : भारत का दृष्टिकोण एकता की सार्वभौमिक भावना को बढ़ावा देना- अर्जुन मुंडा

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द फॉलोअप डेस्क
भारत का दृष्टिकोण एकता की सार्वभौमिक भावना को बढ़ावा देना है। ताकि, मानव-केंद्रित वैश्वीकरण के एक नए प्रतिमान को आकार देने के लिए मिलकर काम करना है। ताकि, कोई पीछे न छूटे। यह बातें बिस्वा बांग्ला कन्वेंशन सेंटर में वित्तीय समावेशन के लिए वैश्विक भागीदारी पर जी-20 कार्य समूह की पहली बैठक के पूर्ण सत्र को संबोधित करते हुए केंद्रीय जनजातीय कार्य मंत्री अर्जुन मुंडा ने कही।
उन्होंने सभी वर्गों के न्यायसंगत और समान विकास की आवश्यकता पर जोर दिया। राज्य के विभिन्न कोनों से 1800 से अधिक छात्रों की एक सभा को संबोधित करते हुए केंद्रीय मंत्री ने कहा कि भारत के 'वसुधैव कुटुम्बकम' के दृष्टिकोण के बारे में चर्चा की। कहा, हम एक ऐसे मानव केंद्रित वैश्वीकरण के लिए प्रयास करते हैं, जहां कोई भी पीछे न छूटे।

वित्तीय साक्षरता करें प्राप्त
छात्रों से उचित तरीके से वित्तीय साक्षरता प्राप्त करने का आग्रह केंद्रीय मंत्री ने किया। ताकि, आने वाले समय में किसी प्रकार ठगे न जाएं। कार्यक्रम में भारत को ब्रिटिश अत्याचार की बेड़ियों से मुक्त करने और देश को चमकने में मदद करने के लिए पूर्वजों के बलिदान पर भी प्रकाश डाला। उन्होंने कहा, जब देश की आजादी के 100 साल (अमृतकाल) हो जाएं, तब कोई मतभेद नहीं होने चाहिए।

जी-20 शिखर सम्मेलन की मेजबानी ऐतिहासिक अवसर
जी-20 शिखर सम्मेलन की मेजबानी के मामले में अर्जुन मुंडा ने इसे ऐतिहासिक अवसर बताया। उन्होंने कहा कि वैश्विक जीडीपी के लगभग 85 प्रतिशत का प्रतिनिधित्व करने वाले अंतर्राष्ट्रीय आर्थिक सहयोग का यह प्रमुख मंच है।
इससे पहले, अन्य जी-20 देशों के प्रतिनिधियों और केंद्रीय वित्त मंत्रालय के आर्थिक कार्य विभाग व भारतीय रिजर्व बैंक के वरिष्ठ अधिकारियों की उपस्थिति में जी-20 कार्यकारी समूह की बैठक को संबोधित करते हुए मुंडा ने कहा कि भारत में उपभोक्ताओं को आकर्षित करने और बदले में बाजारों को पर्यावरण के प्रति सचेत कार्यप्रणालियों को अपनाने के लिए समृद्ध प्राचीन स्थायी परंपराएं हैं। उन्होंने कहा, पिछले कई सालों में हमने अपनी धरती और पर्यावरण को नष्ट कर दिया है। इसका हमारे जलवायु और इकोसिस्टम पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा। इकोसिस्टम की सुरक्षा के लिए एक वैश्विक दृष्टिकोण होना चाहिए, नहीं तो हम सभी एक साथ डूब जाएंगे।