द फॉलोअप डेस्कः
लातेहार जिला के महुआडांड़ प्रखंड के हामी पंचायत के भीतरकोना गांव निवासी 70 वर्षीय प्रभुदास लकड़ा को ग्रामीणों ने शुक्रवार को टोकरी में बैठा कर इलाज के लिए नदी पार कराया। इसके बाद दो किलोमीटर पैदल चल कर रोड तक पहुंचे। वहां से वाहन पर बैठा कर प्रभुदास को सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र ले जाया गया। प्रखंड मुख्यालय से भीतरकोना की दूरी 12 किलोमीटर है।
बारिश में कैद हो जाते हैं गांववाले
आदिवासी बहुल इस गांव की आबादी लगभग 400 है। भीतरकोना गांव चारों ओर जंगल से घिरा हुआ है। गांव तक जाने के लिए सड़क नहीं है। प्रखंड मुख्यालय तक आने के लिए ग्रामीणों को एक नदी पार करनी पड़ती है, जिस पर आज तक पुल नहीं बना है। बरसात के मौसम में गांव टापू बन जाता है। लगातार बारिश होने पर लोग गांव में कैद हो जाते हैंय़ गांव में कोई बीमार पड़ जाये तो उसे अस्पताल पहुंचाने के लिए खाट व टोकरी में ढोकर मुख्य सड़क तक ले जाना पड़ता है।
कोई अपनी लड़की की शादी नहीं करता इस गांव में
वृद्ध महिला तरशिला तिर्की ने बताया कि गांव में सड़क, पुल, पानी बिजली जैसी अन्य सुविधाओं की कमी है। इस कारण कोई अपनी लड़की की शादी इस गांव में नहीं करना चाहता है।