रांची:
झारखंड सरकार ने आदिवासी संस्कृति को बचाने के लिए बड़ा कदम उठाया है। अब ग्राम प्रधान, मानकी मुंडा के माध्यम से भी 25 लाख तक खर्च कर सकेंगे। वित्तीय वर्ष 2022-23 में योजना के तहत 85.50 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है। झारखंड में आदिवासी संस्कृति और कला केंद्रों के विकास के लिए परंपरागत ग्राम प्रधान, मानकी मुंडा, मांझी और पाहन की अध्यक्षता वाली ग्राम सभा चयनित लाभुक समिति के माध्यम से 25 लाख रुपये तक का कार्य करा सकेगी।
कल्याण विभाग ने इन इलाकों में शुरू की योजना
कल्याण विभाग ने अनुसूचित क्षेत्रों में यह योजना शुरू की है, जिसके तहत यह वित्तीय अधिकार सौंपा गया है। इसमें आदिवासी संस्कृति, कला केंद्र, मांझी भवन, मानकी मुंडा भवन, परहा भवन, परगना भवन, धुमकुड़िया भवन, गोड़ासे निर्माण और मांझी थान शेड निर्माण के लिए राशि खर्च की जा सकेगी।
यहां परंपरागत समिति के माध्यम से होगा काम
जिन ग्रामों में ग्राम प्रधान, मानकी मुंडा, पाहन या मांझी नहीं हैं, वहां मान्यता प्राप्त परंपरागत समितियों के माध्यम से योजना का काम कराया जायेगा। 25 लाख रुपये से अधिक की योजनाओं का क्रियान्वयन खुली निविदा के माध्यम से होगा। वित्तीय वर्ष 2022-23 में योजना के तहत 85.50 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है।
सरना, जाहेर स्थान, हड़गड़ी और मसना की होगी घेराबंदी
कल्याण विभाग ने सरना, जाहेर स्थान, हड़गड़ी व मसना के संरक्षण और विकास के लिए योजना शुरू की है। जनजातीय संस्कृति व परंपराओं का संरक्षण करने के उद्देश्य से सरना, जाहेर स्थान, हड़बड़ी और मसना की घेराबंदी की जायेगी।
इसके अलावा इन स्थानों पर चबूतरा निर्माण, सौर विद्युत आपूर्ति, पेयजल की व्यवस्था आदि का विकास भी किया जायेगा। चालू वित्तीय वर्ष में इसके लिए 175 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है।