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कैसे हारेगा कोरोना? जीनोम सिक्वेंसिंग के लिए रिम्स को नहीं भेजे जा रहे सैंपल; चाहिए 40

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द फॉलोअप डेस्कः
कोरोना पूरे देश में धीरे-धीरे पांव पसारता जा रहा है। झारखंड में भी दो कोरोना के मरीज मिले हैं, जो जमशेदपुर के टीएमएच में भर्ती हैं। दोनों मरीजों का वैरिएंट जेएन-1 है या नहीं यह पता लगाने में समय लग सकता है क्योंकि वैरिएंट का पता लगाने के लिए मरीज के सैंपल की जीनोम सिक्केंसिंग की जाती है। रिम्स में जीनोम सिक्केंसिंग की मशीन तो लगायी गयी है, लेकिन इसकी जांच काफी महंगी है। जीनोम सिक्केंसिंग के लिए एक साथ 40 सैंपल की जरूरत पड़ती है, लेकिन रिम्स में पास एक भी सैंपल नहीं। 


पूरे राज्य से सैंपल रिम्स भेजने को कहा गया 
बता दें कि एनएचएम झारखंड के अभियान निदेशक आलोक त्रिवेदी ने सभी मरीजों के सैंपल की जीनोम सिक्केंसिंग कराने को कहा है ताकि वैरिएंट का पता चल सके। इसके लिए उन्होंने सभी जिलों को पॉजिटिव सैंपल रिम्स के डिपार्टमेंट ऑफ जीनोमिक्स एंड जेनेटिक्स भेजने को कहा है। कोरोना के बढ़ते केस को देखते हुए स्वास्थ्य मंत्रालय ने पूरे देश को अलर्ट कर दिया है। आलोक त्रिवेदी ने सभी जिलों को एडवायजरी जारी करते हुए अलर्ट कर दिया है। लेकिन, बीते तीन माह में राज्य में हुई जांच और मरीजों की संख्या का विश्लेषण करें तो पता चलता है कि मरीज बढ़ रहे हैं, लेकिन जांच घट रही है। 

घटती जा रही जांच की संख्या 
बता दें कि अक्तूबर में हर दिन लगभग 224 जांच किए गए। नवंबर में 137 और दिसंबर में 84 सैंपलों की जांच की गयी है। जबकि, नवंबर से दिसंबर के 20 दिनों में ही राज्य में कोरोना की पॉजिटिविटी दर दोगुना से ज्यादा हो चुका है। अक्तूबर में पॉजिटिविटी रेट शून्य था। नवंबर में सैंपलों का पॉजिटिविटी रेट 2.29 प्रतिशत था। दिसंबर के महज बीस दिनों में पॉजिटिविटी रेट बढ़कर 0.59 प्रतिशत हो चुका है। राज्य भर में अक्तूबर में कुल 6944 सैंपल की जांच की गयी, जिसमें एक भी पॉजिटिव मरीज नहीं मिले थे। नवंबर के 30 दिनों में 4118 सैंपल में 12 पॉजिटिव मिले। जबकि, दिसंबर के 20 दिनों में 1675 सैंपल की जांच में ही 10 पॉजिटिव मरीज मिल चुके हैं।