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राजनीतिक रूप से नहीं सकते हैं तो गलत और झूठा आरोप लगाकर दिग्भ्रमित करते हैंः हेमंत सोरेन

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द फॉलोअप डेस्कः
आज मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन सरायकेला में कोल्हाल प्रमंडल की महिलाओं को मंईयां सम्मान योजना की राशि वितरीत करने पहुंचे थे। इस दौरान लाखों महिलाओं के खाते में 1 हजार रुपये ट्रांसफर किय गये। इस दौरान मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा कि हमारी सरकार बनते ही कोरोना संकट आ गया। झारखंड जैसे राज्य के लिए ऐसी आपदा अभिशाप के जैसे होती है। हमारे राज्य के लोग बड़े पैमाने पर दूसरे राज्यों में काम करने गये थे। लेकिन अचानक लॉकडाउन हुआ तो सबको नौकरी से निकाल दिया गया। पूरा देश त्राहिमाम कर रहा था। उस समय हम आपके भाईयों को हवाई जहाज से ढो-ढोकर घर पहुंचाए। पीएम कहते थे कि हवाई चप्पल पहनने वालों को हम हवाई जहाज में चढ़ाएंगे। हवाई जहाज में तो चढ़ाए नहीं बल्कि भूखमरी की स्थिति ला दिए। उस समय भयावह स्थिति थी लेकिन हमने अफरा तफरी का माहौल नहीं बनने दिया। उस महामारी के समय सरकार के साथ कदम से कदम मिलाकर चलने वाली थी इस राज्य की महिला समूह। जहां हमारे गांव-गांव, पंयातत-पंचायत में खाना बनाकर खिलाने का काम करते थी। कोरोना के चपेट में हमारे दो-दो मंत्री आ गये। उन्होंने अपनी जान गवां दी। आज जगरनाथ महतो की विधवा पत्नी बेबी देवी अपने विभाग से महिलाओं को सम्मान दिलाने का काम कर रही है। 


सीएम हेमंत ने कहा कि "हमारे विपक्ष के लोगों को हमारा काम रास नहीं आता है। अभी दो-तीन महीना के बाद चुनाव है विधानसभा का। ये लोग विगत तीन-चार महीने से यहां पर अपना जहरीला बीज बोने में लगा हुआ है। यहां के नेताओं से बीज नहीं बोने पाए तो असम, छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश से नेता लोग को ला रहे हैं। और यहां कि दलित, आदिवासी, पिछड़े, अल्पसंख्यक के भीतर एक संप्रादायिक तनाव और द्वेष फैलाने का काम शुरू हो चुका है। किसी को आदिवासी-दलित-पिछड़े के रूप में लड़ाओ, किसी को हिंदू मुस्लिम करके लड़ाओ, इस तरीके के भाषण ये लोग दे रहे हैं। इस राज्य में जितना अल्पसंख्यक है सभी इनको बांग्लादेशी दिखता है। सभी इनको घुसपैठिया दिखता है और ये लोग आदिवासी हितों की बात करते हैं। आज तक भाजपा का नेता लोग आदिवासी दिवस पर आदिवासी को बधाई देना तक मुनासिब नहीं समझते हैं। 20 सालों में कभी इनलोगों ने आदिवासी महोत्सव नहीं मनाया। राज्य अलग होने के बाद इनके हाथ में ही बागडोर था। कभी आदिवासी महोत्सव में आदिवासियों को सम्मान नहीं मिला। आज यहां आदिवासी, मूलवासी की सरकार बनी तब हर 9 अगस्त को आदिवासी महोत्सव मनाया गया। जब से सरकार बनी उसके1 घंटा बाद से ये लोग सरकार गिराने की कोशिश में लगे हैं। ये लोग धन बल के नाम पर, ईडी सीबीआई के नाम पर विधायकों को, मंत्रियों को डराकर सरकरा गिराने का काम करना चाहती है। कई राज्य उदाहरण है। जहां पर इनलोगों ने गलत उल्टा सीधा आरोप लगाकर नेताओं को जेल में डाल दिया है। हमको भी दो साल तक खदेड़ता रहा। जब हमसे नहीं सका तो झूठा आरोप में जेल में डाल दिया। इनको लगता है कि देश में सारा आदिवासी बोका है। हम मानते हैं कि हमारा आदिवासी समाज उस मकाम पर नहीं पहुंचा है। जहां तुम्हारे बराबरी का पढ़ाई करता हो। तुम्हारे जैसे लोगों के रिश्तेदार जज हैं, वकील हैं। लेकिन वो भी दिन आएगा उस मकाम पर भी हम पहुंचेंगे। आज आने वाली पीढ़ि मजबूती से अपना कदम बढ़ाए इसके लिए हम पहले अपनी जड़ें मजबूत करेंगे। ताकि आनी वाली पीढ़ि मजबूती से अपना हक अधिकार ले सके।"


"राज्य अगल होने के बाद या पहले आज भी हमारा गांव ऐसा ऐसा पहाड़, जंगल, नदी किनारे बसा है जहां कि कई महिलाएं ब्लॉक ऑफिस नहीं देखा है। बीडीओ सीओ कौन है ये भी पता नहीं। डीसी, एसपी तो बाद की बात है। जिला कार्यालय को बाद की बात है। ब्लॉक कार्यालय भी नहीं देखा। अनेकों बार पंचायत में शिविर लगकर के पदाधिकारी जा जा कर के कौन कौन समस्याएं है उसका निदान किया। और जो नहीं हो सका उसको हम तक पहुंचाया। हम लोग पदाधियारियों को आप तक भेजने का काम करते हैं। इसलिए हमने कहा था कि हमारी सरकार हेडक्वार्टर से नहीं बल्कि ग्रामीण क्षेत्रों से चलेगा। इसी का नतीजा है कि गांव का एक भी बूढ़ा बुजुर्ग बिना पेंशन का नहीं है। डबल इंजन की सरकार ने 20 साल में 15 लाख लोगों को पेंशन का लाभ दिया था लेकिन हमारी सरकार ने मात्र 4 साल में 40 लाख लोगों को पेंशन देने का काम किया। क्या किया इस डबल इंजन की सरकार ने। हमने कानून बनाया था कि पहले 60 साल के बुजुर्गों के लिए पेंशन योजना था। लेकिन बाद में नेताओं ने कार्यकर्ताओं ने कहा कि सर 60 साल नहीं 50 साल उम्र हो जाता तो सारे गरीब बूढ़े-बुजुर्ग को पेंशन मिल जाता। इसलिए हमने 60 साल की बाध्यता को खत्म कर दिया और 50 साल कर दिया। अब दो दिया लेकर भी खोजने से कोई बूढ़ा-बुजुर्ग नहीं मिलता है जो बिना पेंशन के हो।" 


"मुख्यमंत्री मंईयां योजना के माध्यम से लगभग 48 लाख महिलाएं जुड़े चुकी है। अभी बटन दबाकर पौने 6 लाख महिलाओं के खाते में पैसा पहुंच चुका है। अभी तो एक हजार दे रहे हैं लेकिन हम वादा करते हैं कि चुनाव खत्म होगा तो अगले पांच साल के भीतर हर घर में 1-1 लाख पहुंचाने का काम हमारी सरकार करेगी। इस राज्य में गरीबी का आलम ऐसा है कि कई गांव के लोगों के पास तन ढकने का कपड़ा नहीं है। लेकिन आपका ये बेटा साल में 2 बार कपड़ा देने का काम करता है। क्यों आज तक भाजपा के लोगों ने इस राज्य के लोगों के भविष्य को सुधारने के लिए कोई योजना बनाई। हम योजना गिनाने लगे तो हमारा विपक्ष हमारी योजनाओं के बोझ तले इतना नीचे चला जाएगा कि उठ नहीं पाएगा। इन लोगों को हिंदू-मुस्लिम करना है। जात पात के नाम पर लड़ाना है। ये लोग नौकरी का बात करता है बेराजगारी भत्ता का बात करता है। जा के देखो ना ब्लॉक में हमलोग बेरोजगारी भत्ता देते है कि नहीं। आज कोई ऐसा घर नहीं है जहां सरकार की योजनाएं उनका दरवाजा नहीं खटखटा रही है। मंईयां सम्मान योजना के लिए किसी को ब्लॉक का चक्कर काटना पड़ा है क्या। पंद्रह दिन में आपलोग के खाते में पैसा पहुंच रहा है। विपक्ष का लोग तरह तरह के षडयंत्र, तरह का झूठ आजकल नया नेता नया कैंडिडेट कैसे ये अपना झारखंड में रोटी सेंके। इसका चिंता नहीं है। जितना संघर्ष होगा थोड़ा बहुत खरोच लगेगा। चिंता नहीं है। ये झारखंडियों का खून है। इतना आसानी से तुम इसको खत्म करने का मत सोचो। यहां हर एक कोने पर आपको ऐसे वीर शहीद मिलेंगे जिसकी आवाज कभी खत्म नहीं होगी। उस आवाज के सहारे इस राज्य में हमलोग ये भाजपा के लोगों को, ये नापाक इरादें रखने वाले लोगों को हमलोग मुंहतोड़ जवाब देंगे। कितना जेल भरोगे, कितना झूठा आरोप लगाओगे। राजनीतिक रूप से नहीं सकते हैं तो गलत सलत आरोप लगाकर हमें और हमारे राज्य के लोगों को दिग्भ्रमित करना चाहते हैं।"
"यहां का कोयला, अभ्रक, लोहा यहा के खनिज संपदा से हमारे आदिवासियों-मूलवासियों को कोई फायदा नहीं हुआ। हमारे इस खनिज संपदा से इस देश के व्यापारियों को फायदा हुआ है। इसलिए हमारी सरकार बनने के बाद भारत सरकार के कंपनियों से हमलोगों का 1 लाख 36 हजार करोड़ रुपया बकाया निकला है। हम जब वो मांगने चल गये तो हमको जेल में बंद कर दिया। लेकिन उनको पता नहीं कि हमलोगों को हक अधिकार नहीं दोगे तो हम छीन लेंगे। हमने तो कानून बनाया है कि यहां पर कोई भी फैक्ट्री या रोजगार लगेगा तो 75 प्रतिशत स्थानीयों को रोजगार देना होगा। आने वाल समय में खनिज संपदा निकालने वाला सारे कंपनियों से सारा हिसाब किताब लिया जाएगा। अगर स्थानीय लोगों को रोजगार नहीं मिलेगा तो खनन कंपनियों को भी काम नहीं करने दिया जाएगा।" 
"कोल्हान क्षेत्र में हमने 20 से 25 हजार नियुक्तियां दी थी। लेकिन इनलोगों को दिखता नहीं है। 1 लाख से अधिक निजी क्षेत्रों में हमलोगों ने रोजगार दिया। 35-40 हजार सरकारी नियुक्तियां दी। अभी और भी नियुक्ति चल रहा है। अभी भी दौड़ चल रहा है। उत्पाद सिपाही की बहाली चल रही है। इनको लगता है कि जादू की छड़ी है और सारा काम तुरंत हो जाता है। ये लोग 20 साल रहा। जहां सबसे अधिक नौकरी होता है फौज में वहां अग्निवीर लेकर आ गये। ऐसा नौकरी जहां चार साल के बाद फिर वहां का सिपाही बेरोजगार हो जाएगा। हमने कानून बनाया कि अग्निवीर में जो शहीद होगा उसको भी राज्य सरकार यहां के सिपाही के अनुरूप उसको सम्मान देने का काम करेगा। उसके बाद रेलवे में नौकरी होती थी उसमें में बंद, बैंक में नौकरी होती थी उसमें भी बंद। अब सारा नौकरी देने की जिम्मेदारी राज्य सरकार की। महंगाई बढ़ती जा रही है। राज्य सरकार 200 यूनिट फ्री बिजली दे रही है। लेकिन उसमें थोड़ी परेशानी है। गरीबों का पहले का जो बिल है उसका बकाया चुकता नहीं कर पा रहा है। हम बता रहे हैं कि बहुत जल्द हम उस बकाया को माफ करने की ओर आगे बढ़ रहे हैं।"