द फॉलोअप डेस्कः
आज मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन आपकी योजना आपकी सरकार आपके द्वार कार्यक्रम के तहत गुमला में कार्यक्रम करने पहुंचे थे। इस दौरान उन्होंने कहा कि कल ही हमलोगों ने एक प्रमंडलीय स्तर का कार्यक्रम किया। कल उस कार्यक्रम में बड़ी संख्या में महिलाएं उपस्थित थी। वो पल अद्भुत था। सभी के चेहरे पर मुस्कान थी। हमारी हमेशा से यही सोच है कि सरकार वही सफल होता है जिसके राज्य में जनता के चेहरे पर मुस्कान हो। हमारी सरकार हेडक्वार्टर से चलने वाली सरकार नहीं है। आज भी कई ऐसे गांव है जहां के लोग बीडीओ कौन है सीओ कौन है नहीं जानता था। डीसी, एसपी तो दूर की बात है। हमने कहा था कि हमारी सरकार गांव की सरकार है। इसलिए हमने गांव-गांव, टोला-टोला में शिविर लगाकर आपकी समस्या को जानने का प्रयास किया था। कोई लैपटॉप लेकर गया। कोई बैलगाड़ी में गया। कोई साइकिल में गया लेकिन जाता जरूर था। और आपकी समस्या की गठरी बनाकर लाता था। 2019 में हमने सरकार बनाई और तब से लेकर आज तक कई चुनौतियां हमारे सामने आई। कोरोना काल आ गया था। आप सबने देखा कि कितना डरावना वक्त था। हमलोग ठीक से सरकार भी नहीं बना पाए थे और कोरोना ने पूरे देश दुनिया को जकड़ लिया। सब कुछ बंद था।
हम पहले भी जिला-जिला गये हैं। आपलोग उस समय मुझे देखे थे। उस समय मैं बच्चा जैसा दिखता था। आज बूढ़ा जैसा दिखता हूं। ये विपक्षियों के षडयंत्र का नतीजा है कि आज मैं ऐसा दिखता हूं। हमलोगों ने कमर कसी है कि इन विपक्षियों को खदेड़कर झारखंड से हमेशा हमेशा के लिए भगा देना है। गांव की आवाज से, गांव के लोगों की दर्खास्त से हम योजनाएं बनाते थे। एक समय ऐसा था कि लोग भूख से मरता था, दवा के अभाव में मरता था। धीरे-धीरे बहुत कुछ में बदलाव आया। झारखंड बहुत गरीब राज्य है। इसको लोग सोना का चिड़िया बोलता है। पता नहीं कैसे। गुमला में लोहरदगा में कई खनन कार्य होते हैं लेकिन यहां के लोगों के पास तन ढकने के लिए कपड़ा नहीं है। इसलिए हमारे पुवर्जों ने अपनी कुर्बानी दी ताकि इस राज्य के आदिवासी, मूलवासी सुरक्षित रहें। यहां का जल, जंगल, जमीन बचा रहे। इस राज्य को अलग करने का एक अलग पहचान दिशोम गुरु के लंबे आंदोलन के बाद मिला। लेकिन जो इस राज्य को लूटने वाले थे वही लोग सत्ता में बैठ गया। राज्य अलग होते ही उन्हीं लोगों ने सरकार चलाया। और नतीजा हुआ कि लोग भूख से मरने लगे। लोग हाथ में राशन कार्ड लेकर मर गये। बच्चे भूख से मर गये। जब हमलोग सरकार बनाए तब पूरे राज्य में चारों तरफ तकलीफों का अंबार था। कोरोना महामरी आ गया। ऐसे राज्य में ऐसी महामारी एक अभिशाप की तरह होता है। हमारे राज्य में मजदूर किस्म का लोग सबसे अधिक रहता है अगर वो एक दिन मजदूरी नहीं करेगा तो उसका चूल्हा नहीं जलेगा। पूरा परिवार भूखा रह जाता है। अब क्या करे ना अस्पताल की स्थिति ठीक, ना डॉक्टरों की स्थिति ठीक। ऐसे हालत में हमलोग क्या करे समझ में नहीं आता था। दूसरे राज्यों में हमारे नौजवान काम करने गये थे। वहां भी वो लोग को नौकरी से निकाल दिया। घर लौटने के लिए ना ट्रेन, ना बस कुछ नहीं। सब बंद था। लेकिन याद करिए आप वो दिन कि पूरा देश में पहली बार आपका ये बेटा, ये भाई आपके परिवार जनों को हवाई जहाज से लाद कर आपके घर पहुंचाने का काम करता था। किसी को हवाई जहाज से लाते थे। किसी को ट्रेन से किसी को बस से। उस लड़ाई में अस्पताल डॉक्टर से काम नहीं चला। बात यहीं खत्म नहीं होता था। मजदूरी बंद थी। घर चलेगा कैसे। उस समय हमारी आधी आबादी, हमारी दीदीयों ने सरकार के साथ खड़ा होने का निर्णय लिया। याद कीजिए वो दिन इस राज्य की महिला दीदी गांव-गांव पंचायत पंचायत में हमारे मजदूर भाईयों को मुफ्त में दाल भात बनाकर खिलाने का काम करती थी। उसी दिन हमने संकल्प लिया था कि महिला दीदीयों के लिए हम कुछ करेंगे। उसी का परिणाम है कि आज पूरे राज्य में मुख्यमंत्री मंईयां सम्मान योजना के तरह राज्य की 50 लाख महिलाओं को जोड़ा गया।
कल हमने घोषणा भी की है कि अब 18 साल से की युवतियों को भी मंईयां सम्मान योजना की राशि मिलेगी। अभी उसका कानून नहीं बना है लेकिन बहुत जल्द करेंगे। गांव-गांव, पंचायत पंचायत में जो शिविर लग रहा है उसमें फॉर्म भर दीजिए। हमने नेतरहाट फायरिंग रेंज हमेशा के लिए गांव वालों को वापस कर दिया गया। जो 60 साल तक ये लोग लड़ाई लड़ रहे थे। कितना आंदोलन हुआ कितना लोग मर गये। हमारे पिता शिबू सोरेन ने भी आंदोलन किया। लेकिन हमलोगों ने वो लड़ाई छोड़ी नहीं। आज जैसे ही मौका मिला वो फायरिंग रेंज का सारा जमीन ग्रामीणों को सौंपा गया।
आज वन पट्टा के माध्यम से गुमला और लोहरदगा के अंदर हमलोगों ने 22 हजार एकड़ जमीन का वन पट्टा किया है। आज के दिन में 1 हजार 250 एकड़ जमीन का वितरण मंच से किया जाएगा। हमको पहले भी विभिन्न कार्यकमों में वन पट्टा बनवाता था। एक दिन हम गलती से कागज देख लिए। हमको बताओ कि वन पट्टा कितना का बनवाया है तुम तब पता चला चार डिसमील, पांच डिसमील तब हमको लगा कि अधिकारी हमको बेवकूफ बना रहा है। फिर हमने तुरंत आदेश दिया है कि अब डिसमील पर कोई पट्टा नहीं बनेगा अब कोई भी पट्टा बनेगा एकड़ों में बनेगा। चाहे वह व्यक्तिगत हो या सामूहिक। और आप सामूहिक वनपट्टा या व्यक्तिगत वनपट्टा के माध्यम से खेती बाड़ी का काम कर सकते हैं। अब मौसम बहुत खराब होता है। समय में बारिश नहीं होती, समय पे गर्मी नहीं होती। किसान को समझ नहीं आता है कि वह क्या करे। हम वैकेल्पिक खेती के लिए भी बिरसा हरित ग्राम योजना लाए हैं। आप आम का पेड़ लगाइए। लीची का पेड़ लगाईए। जब तक उस पट्टा वाले जमीन पर आपका पेड़ रहेगा आप उस जमीन के मालिक रहेंगे। वनपट्टा का मालिक बनना है तो उसपर पेड़ लगाना होगा खेती बाड़ी करना होगा। तभी हमारी जो यह पहचान है आदिवासियों की वह बची रहेगी।
बड़ा तालाब में बड़ी मछली छोटा मछली को खा जाते हैं। समाज में भी यही होता है। खासकर उनलोगों को जिनकी कोई पहचान समाज में नहीं है। आज देश की सूची में आदिवासियों की पहचान नहीं है। इसलिए झारखंड सरकार ने झारखंड के आदिवासियों के लिए सरना धर्म कोड पारित करके सरकार को भेजा है। लेकिन अब तक वह नहीं मिला है। अगर सरना धर्म कोड मिल जाए तो आदिवासी सुरक्षित हो जाएंगे। लेकिन ये नहीं चाहते हैं कि भेड़ बकरियों की तरह हम कभी इधर चले जाए कभी उधऱ चले जाए और खत्म हो जाए। आज से नहीं अंग्रेजों के काल से आदिवासियों को इधर उधऱ मजदूरी के नाम पर भटकाते रहे हैं। यहां का आदिवासी बंगाल में, असम में, कर्नाटक में, केरल में बसा पड़ा है। सदियों से। ये लोग हमें मजदूर ही बनाना चाहते हैं। हमार गांव देहात में दो चार लोग पेंशन पाता था। लेकिन आज दिया लगाकर भी खोजिएगा तो कोई बूढ़ा- बुजुर्ग नहीं मिलेगा। सबको पेंशन मिलता है। दलालों का भी चक्कर नहीं है। अब आपलोग बताईए आप मंईंयां सम्मान योजना का लाभ ले रहे हैं आपको कहीं कोई चक्कर लगाना पड़ा। 20-25 दिनों के अंदर आपके खाते में पैसा चला गया। सभी को पेंशन, महिलाओं को सशक्तिकरण करने के पीछे का हमार राज ये है कि हमारा गांव का लोग आज भी बच्चा लोग को पढ़ाने के लिए महाजनों से कर्जा लेता है। वो कर्जा ऐसा होता है कि वो कभी उतरता ही नहीं। आने वाले पांच सालों में हम आपको इतना मजबूत करेंगे कि आपको कर्ज लेने का जरूरत नहीं पड़ेगा। आने वाले पांच साल में हम 1-1 लाख हर घर में पहुंचाएंगे।
उन्होंने कहा कि हम इतना काम करते हैं । इसके साथ साथ विपक्ष का षडयंत्र भी चलता है। जितना आपलोग के लिए काम करते हैं उतना ही हमको काटने के लिए दौड़ता है। ये तो आपका आशीर्वाद था कि मैं आपलोगों के सामने खड़ा हूं। हमारी योजनाओं का लाभ कैसे आपतक नहीं पहुंचे उसका दिन रात ये लोग कोशिश करता है। अभी मंईयां योजना के जरिए 50 लाख लोगों के खाते में पैसा चला गया और ये लोग कोर्ट में जाकर केस कर दिया है। इधर का ही कोई आदमी है। ये लोग भाजपा का लोग है। हम यहां के नौजवानों को नौकरी देने के लिए 1932 आधारित नियोजन नीति बनाते है ये बेईमान लोग कोर्ट चला जाता है। और असंवैधानिक बता देता है। और यही कानून इनके राज्य में बनता है तो वहां संवैधानिक हो जाता है।
ये लोग बड़े-बड़े ऊंचे-ऊंचे पदों पर बैठकर सदियों से पूरे देश में आदिवासी-पिछड़ों का शोषण किया है। अब जब हम मंत्री बन रहे हैं मुख्यमंत्री बन रहे है तो इनके पेट में दर्द हो रहा है। हमको चार साल से चैन से बैठने नहीं दिया। दो साल तो कोरोना से नहीं बैठ पाए और अब बचा हुआ समय में इनलोगों ने हमें परेशान कर दिया। इतना दिन रात हम काम करते हैं लेकिन इनको काम नहीं दिखता है। उत्पाद सिपाही की दौड़ में कुछ नौजवानों की मौत हो गई है। इसके पीछे बहुत बड़ी साजिश सामने आ रही है। हमने जांच का आदेश दे दिया है। कोरोना काल में झारखँड के लोगों को जो इंजेक्शन लगा है वो गलत इंजेक्शन लगा है। हल्का फुल्का सर्दी खांसी में लोगों की जान जा रही है। फर्जी दवा दिया गया है। फर्जी दवा बनाने वाले कंपनी से अरबों अरबों रुपया चंदा वसूल लिया। पैसा वसूलने के लिए कौन सा दवा हमलोगों को लगा दिया है पता नहीं। हमको तो कोरोना हुआ भी नहीं इसके बाद भी इंजेक्शन लगा दिया। उत्पाद सिपाही की दौड़ में जिन बच्चों का देहांत हो रहा है उनको कोरोना का इंजेक्शन लगाया था उसी का प्रभाव पड़ा है।
अब इनके पास कुछ बोलने के लिए नहीं रहा तो ये लोग छत्तीसगढ़ से, असम से, मध्यप्रदेश से नेता बुलाता है। और हिंदू मुस्लिम का जहर घोलता है। हर दूसरे दिन आप सुनेंगे कि फलना जगह का नेता आया और कुछ घोषणा करके गया। अकबार, टीवी वाले लोग भी इनका खबर छापता है। हमलोग अखबार टीवी वालों के भरोसे नहीं चलते हैं। हमलोग नियुक्तियां कर रहे हैं वो इनको नहीं दिखता है। जनता इनको चुनती नहीं है फिर भी विधायक खरीदो, मंत्री खरीदों, ईडी सीबीआई से धमकी दिलवाओ। छापा पड़वाओं जेल भेजो और सरकार बनाओ। अब इनके पास आम जनता का समर्थन नहीं है। इस लोकतंत्र में सरकार आप चुनते हैं। लेकिन इनको आपसे मतलब नहीं। अगर आपने किसी और को सरकार बनाया तो ये सरकार को ही खरीद लेते हैं। हमारे पीछे भी दो साल से पड़ा हुआ है। हमारे विधायकों के पीछे पड़ा है। लेकिन हमलोग पैसे पर नहीं बिकते।