डेस्क:
राज्यपाल रमेश बैस (Ramesh Bais) दिल्ली से रांची लौट आए हैं। 2 सितंबर को ही दिल्ली (Delhi) गये राज्यपाल 6 दिन बाद रांची (Ranchi) लौटे हैं। क्या अब झारखंड में जारी सियासी हलचल थमेगी। क्या राज्यपाल, चुनाव आयोग (Election Commission) से मिला सीलबंद लिफाफा खोलेंगे। क्या राज्यपाल रमेश बैस खनन पट्टा लीज को लेकर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन (Hemant Soren) के बारे में अपना मंतव्य स्पष्ट करेंगे। क्या, बीते 25 अगस्त से झारखंड में चल रहे सियासी ड्रामे का पटाक्षेप होगा। यही सवाल इस समय झारखंड के सियासी गलियारों में घूम रहा है। चाहे वो सत्तापक्ष हो या विपक्ष। दोनों खेमे में यही सवाल घूम रहा है।
सियासी संकट के बीच राज्यपाल दिल्ली गए थे
दरअसल, सियासी संकट के बीच जबसे राज्यपाल रमेश बैस दिल्ली गए, झारखंड के सियासी गलियारों में तरह-तरह की चर्चा हो रही थी। विपक्ष की तरफ से कहा जा रहा था कि राज्यपाल, बीजेपी (Jharkhand Bjp) के शीर्ष नेतृत्व से सलाह-मशवरा करने के लिए दिल्ली गए थे वहीं राजभवन (Rajbhawan) की तरफ से कहा गया कि ये राज्यपाल का निजी दौरा था। वे इलाज के सिलसिले में दिल्ली गये थे। यही नहीं, बीते कुछ दिनों में सत्तापक्ष की तरफ से पहले तो झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) और फिर कांग्रेस (Congress) की तरफ से प्रेस वार्ता करके झारखंड में जारी सियासी संकट में राज्यपाल की भूमिका पर सवाल उठाए गये। संशय व्यक्त किया गया।
बीते 25 अगस्त से प्रदेश में जारी है सियासी संकट
गौरतलब है कि बीते 25 अगस्त से ही झारखंड में सियासी संकट जारी है। चर्चा है कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से जुड़े खनन पट्टा लीज को लेकर केंद्रीय चुनाव आयोग ने अपना फैसला सीलबंद लिफाफे में राज्यपाल को भेज दिया है। चर्चा है कि चुनाव आयोग ने मुख्यमंत्री की विधायकी रद्द करने की अनुशंसा कर दी है। अब राज्यपाल को इसपर अपना मंतव्य देना है।
ये सारी चर्चा वैसे तो कयासों में थी लेकिन 1 सितंबर को यूपीए (UPA) के प्रतिनिधिमंडल ने राजभवन जाकर राज्यपाल से मुलाकात की और उनसे प्रदेश में जारी सियासी संशय पर स्थिति स्पष्ट करने का आग्रह किया। मुलाकात के बाद बाहर निकले प्रतिनिधिमंडल ने बताया कि राज्यपाल चुनाव आयोग के पत्र पर कानूनी सलाह ले रहे हैं और 2 दिनों में स्थिति स्पष्ट करेंगे। अब 8 दिन बीत चुके हैं लेकिन राजभवन की तरफ से कुछ भी सार्वजनिक नहीं किया गया।
सत्तापक्ष ने राज्यपाल की भूमिका पर उठाए सवाल
बीते कुछ दिनों में पहले तो झामुमो महासचिव सुप्रियो भट्टाचार्य (Supriyo Bhattacharya) और फिर कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष बंधु तिर्की (Bandhu Tirkey) ने कहा कि राज्यपाल ने 2 दिन में स्थिति स्पष्ट करने की बात कही थी लेकिन अब तो 1 सप्ताह बीत चुका है। दोनों ही नेताओं ने अपने व्यक्तव्य में राजभवन की भूमिका पर सवाल खड़ा किया था। यही नहीं, सुप्रियो भट्टाचार्य ने तो चुनाव आयोग की कार्यशैली पर ही सवाल खड़ा कर दिया था। अब चूंकि राज्यपाल दिल्ली से लौट चुके हैं। सत्तापक्ष और विपक्ष, दोनों ही खेमों को उम्मीद होगी कि अगले 1 से 2 दिनों में राजभवन की तरफ से सीलबंद लिफाफे पर कुछ स्पष्ट कहा जायेगा।
मुख्यमंत्री ने मीडियाकर्मियों के सवाल पर ये कहा
गौरतलब है कि बीते दिनों मुख्यमंत्री से मीडियाकर्मियों ने इस बाबत सवाल पूछा था। तब मुख्यमंत्री ने जवाब दिया कि मैं इस पर क्या बोलूं। राज्यपाल की ओर इशारा करते हुए मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा कि इस बारे में जो पूछना है उनसे पूछिए। वे कुछ बोलेंगे तभी मैं जवाब दूंगा। अभी मेरे पास कहने को क्या है। मुख्यमंत्री ने ये भी कहा कि अब मेरे बोलने की बारी नहीं है बल्कि जनता बोलेगी। दरअसल, इन तमाम सियासी चर्चाओं के बीच जो सबसे अहम बात है वो ये कि मुख्यमंत्री की विधायकी जा चुकी है। हालांकि, ये बात फिलहाल कयासों का ही हिस्सा है। कुछ भी आधिकारिक नहीं है।
राज्यपाल ने मीडिया के सवाल का जवाब नहीं दिया
इधर, गुरुवार की शाम जब राज्यपाल रमेश बैस दिल्ली से वापस आने के बाद रांची एयरपोर्ट से बाहर निकले तो मीडियाकर्मियों ने उनसे झारखंड में जारी सियासी हलचल पर सवाल पूछा। दिल्ली में हुई मुलाकातों के बाबत सवाल पूछा। हालांकि, राज्यपाल ने मीडिया के किसी भी सवाल का जवाब नहीं दिया और चुपचाप अपनी गाड़ी में बैठकर राजभवन की ओर रवाना हो गए। अब, राज्यपाल कब अपना मंतव्य स्पष्ट करते हैं ये तो वक्त बताएगा। फिलहाल इंतजार और कयास ही सच हैं।