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सरकार करेगी बालू घाट संचालन नियमावली में बदलाव, इस दिन से लागू होगी नई पॉलिसी

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द फॉलोअप डेस्क
राज्य सरकार द्वारा बालू घाट संचालन नियमावली में बदलाव किया जा रहा है। इस दौरान बिहार और बंगाल की तर्ज पर बालू घाटों के संचालन पर विचार हो रहा है। इसके लिए एक कमेटी का गठन किया गया है। यह कमेटी दोनों राज्यों का अध्ययन करेगी। बताया जा रहा है कि गठित कमेटी में अपर सचिव मनोज रंजन, उपनिदेशक खान संजीव कुमार, JSMDC के जीएम फाइनेंस आलोक चौधरी, JSMDC के बालू पदाधिकारी करुण चंदन और हजारीबाग के DMO अजीत कुमार शामिल हैं।

किस बात पर होगा अध्ययन
यह कमेटी दोनों राज्यों में बालू से राजस्व कैसे प्राप्त होता है, इस बात का अध्ययन करेगी। इससे प्राप्त जानकारी के तर्ज पर झारखंड में भी उसी तरह से काम किया जाएगा। फिलहाल, JSMDC द्वारा राज्य में बालू घाटों का संचालन किया जाता है। लेकिन इस दौरान 444 घाटों में से केवल 22 घाटों से ही बालू का उठाव हो रहा है। ऐसे में बालू से राजस्व नहीं के बराबर मिल पाता है। इसी वजह से सरकार चाहती है कि बालू से राजस्व में वृद्धि हो। इस कारण नियमावली में परिवर्तन की बात चल रही है।JSMDC के पास है बालू घाटों के संचालन की जिम्मेवारी
वहीं, JSMDC को पहले की बालू नीति के तहत 15 अगस्त 2025 तक बालू घाटों के संचालन की जिम्मेवारी मिली है। इसका मतलब है कि उक्त अवधि तक JSMDC को ही बालू निकलवाने से लेकर बेचने तक का काम करना है। इस दौरान JSMDC को घाटों की पर्यावरण स्वीकृति, माइनिंग प्लान, CTE/CTO और अन्य सभी प्रकार की स्वीकृति लेनी है।

फिलहाल, JSMDC ने कैटेगरी ए (0-10 हेक्टेयर), कैटेगरी बी (10-50 हेक्टेयर) और कैटेगरी सी (50 हेक्टेयर से अधिक) के घाटों के लिए माइंस डेवलपमेंट ऑपरेटर (MDO) की नियुक्ति की है। इनमें कैटेगरी ए के लिए 87, कैटेगरी बी के लिए 37 और कैटेगरी सी के लिए 6 MDO की नियुक्ति हुई है। मिली जानकारी के अनुसार, सिया ने अप्रैल 23 से जून 23 के बीच डिस्ट्रिक्ट सर्वे रिपोर्ट (DSR) के आधार पर कुल 444 बालू घाटों की स्वीकृति दी है। इसमें से 282 घाट कैटेगरी ए के, 134 घाट कैटेगरी बी के और 28 घाट कैटेगरी सी के हैं। JSMDC ने इन सभी घाटों के लिए अप्रैल 23 से दिसंबर 23 के बीच MDO के बीच फाइनेंशियल बिड निकाला।

15 अगस्त के बाद लागू होगी नयी पॉलिसी
बताया जा रहा है कि राज्य सरकार 15 अगस्त  2025 तक बालू की नयी पॉलिसी बना लेना चाहती है। इसका कारण है कि राज्य सरकार चाहती है कि  वर्तमान पॉलिसी की अवधि खत्म होते ही, नयी पॉलिसी लागू की जा सके। सरकार विभागीय स्तर पर इसकी तैयारी कर रही है।

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