द फॉलोअप डेस्क
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने राजधानी रांची के बहुचर्चित सिरमटोली फ्लाई ओवर के निर्माण, उद्घाटन और नामाकरण के मामले में अप्रत्याशित कदम उठा कर सबको चारो खाने चित्त कर दिया है। गुपचुप तरीके से सिरमटोली फ्लाई ओवर का नामकरण, कांग्रेस और आदिवासियों के बड़े नेताओं में एक रहे बाबा कार्तिक उरांव के नाम पर करके सबको चौंकाने का भी काम किया है। साथ ही एक तीर से दो नहीं, कई ऐसे निशाने साधे हैं। इससे उनके राजनीतिक विरोधी भी तरह घायल दिखते हैं। हेमंत सोरेन झारखंड के पहले मुख्यमंत्री रहे जिन्होंने बाबा कार्तिक उरांव को फ्लाई ओवर से जोड़ कर उचित सम्मान देने का काम किया है। उस ऐतिहासिक स्थल से कार्तिक उरांव को जोड़ा है, जहां सरहुल के अवसर पर पहली बार 1961 में करमटोली से निकली शोभा यात्रा सिरमटोली पहुंची थी। उस ऐतिहासिक शोभा यात्रा में कार्तिक उरांव भी बैलगाड़ी से पहुंचे थे। स्वर्गीय कार्तिक उरांव को सम्मान मिलने से कांग्रेसियों में भी खुशी देखी जा रही है। खास कर कांग्रेस के आदिवासी नेताओं में उत्साह का माहौल कुछ अलग है।
हेमंत सोरेन ने सिरमटोली फ्लाई ओवर के निर्माण से लेकर उद्घाटन तक के कार्यक्रम में कूटनीतिक चुप्पी का सहारा लिया। सिरमटोली सरना स्थल के पास रैंप निर्माण को लेकर आदिवासी संगठनों और कुछ राजनीतिक दलों के लगातार विरोध पर उन्होंने कोई टिप्पणी नहीं। विरोध के स्वर को राजनीति के गलियारे के गलियारे में ही गूंजने दिया। आदिवासियों के बीच विरोध का सर्वसम्मत माहौल नहीं बनने दिया। इतना ही नहीं उद्घाटन की रणनीति भी इस तरह गुपचुप तरीके से तैयार की गयी कि कार्यक्रम स्थल पर विरोधियों को मजमा लगाने का मौका ही नहीं मिला। जानकारी के सरकार के शीर्ष स्तर पर कल शाम में सिरमटोली फ्लाई ओवर के उद्घाटन की रणनीति बनी। इसे हर स्तर पर गोपनीय रखने का निर्देश दिया गया। कल रात में ही कार्ड छपाई का ऑर्डर दिया गया। सुबह जब सात बजे कार्ड छप कर आया तो, वह बंटना प्रारंभ हुआ। जब तक विशिष्ट लोगों तक कार्ड पहुंचता, सुबह के नौ बज चुके थे। 11 बजे फ्लाई ओवर के उद्घाटन समय निर्धारित था। सरकार के इस तरह की रणनीति से विरोधी ताकते ही रह गए। अब उद्घाटन के बाद रैंप निर्माण का विरोध करनेवाले राजनीतिक दलों और संगठनों के सामने चुनौती खड़ी हो गयी है कि क्या अब वे उस फ्लाई ओवर पर चलनेवाले लोगों को रोक पाएंगे। नहीं। क्योंकि कांटाटोली से डोरंडा तक जाम, जाम और जाम से परेशान आम जनता आने जाने की ऐसी सुविधा मिली है, जिसका विरोध करना विरोधियों के लिए भी मुश्किल होगा।
भाजपा को भी झटका
कार्तिक उरांव के नाम पर फ्लाई ओवर का नामकरण किए जाने से चोट भाजपा को भी लगी है। कार्तिक उरांव भले ही कांग्रेस के नेता थे, लेकिन उनके कतिपय विचारों से भाजपा खूब इत्तेफाक रखती है। 2024 में कार्तिक उरांव के जन्म दिन पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्वीट करके उनके प्रति अपनी भावना को प्रदर्शित भी किया था। प्रधानमंत्री ने लिखा था कि जनजातीय समाज के मुखर प्रवक्ता रहे कार्तिक उरांव ने आदिवासी संस्कृति और अस्मिता की रक्षा के लिए निरंतर संघर्षरत रहे। आज भी उद्घाटन के अवसर पर बड़े बड़े बैनरों में भाजपा के केंद्रीय मंत्री संजय सेठ, राज्यसभा सांसद प्रदीप वर्मा की तस्वीर, कुछ अलग राजनीतिक संकेत दे गयी। हालांकि फ्लाई ओवर का नाम कार्तिक उरांव के नाम पर किए जाने का स्वागत करते हुए भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता प्रतुल शाहदेव एक सवाल खड़ा कर रहे हैं। पूछ रहे हैं कि क्या कार्तिक उरांव के उस मांग व विचारधारा को भी सरकार आत्मसात करेगी। पूरा करेगी, जिसमें उन्होंने डिलिस्टिंग की मांग की थी।
गीताश्री उरांव के विरोधी कदम अब ठिठकेंगे
स्वर्गीय कार्तिक उरांव राज्य की पूर्व मंत्री और कांग्रेसी नेत्री गीताश्री उरांव के पूज्य पिता थे। कांग्रेस में रह कर भी गीताश्री उरांव सिरमटोली फ्लाई ओवर के रैंप को लेकर विरोध पर उतारू रही हैं। 4 जून को भी उन्होंने झारखंड बंद के आह्वान की अगुवाई की। अब पिता के नाम से प्रारंभ किए गए फ्लाई ओवर के रैंप को लेकर गीताश्री उरांव को विरोध करना मुश्किल होगा। उनके विरोधी कदम ठिठकेंगे। ठहरेंगे। क्योंकि राज्य की यह पहली सरकार है जिसने कार्तिक उरांव को उनके नाम और प्रतिष्ठा के अनुरूप सम्मान दिया है। झारखंड में उनके याद को यादगार बने रहने का आधार दिया है।