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झारखंड में 2010 की फोर्थ ग्रेड भर्ती अवैध, सुप्रीम कोर्ट ने रद्द की नियुक्तियां

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द फॉलोअप डेस्कः
सुप्रीम कोर्ट ने झारखंड सरकार द्वारा 29 जुलाई 2010 में आयोजित चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों की भर्ती प्रक्रिया को असंवैधानिक करार देते हुए पूरी प्रक्रिया को निरस्त कर दिया है। शीर्ष अदालत ने अपने आदेश में राज्य सरकार को निर्देश दिया है कि वह अगले छह महीनों में इन पदों के लिए नया विज्ञापन जारी कर फिर से नियुक्ति प्रक्रिया शुरू करे। जस्टिस पंकज मित्तल और जस्टिस संदीप मेहता की खंडपीठ ने यह फैसला सुनाते हुए झारखंड हाईकोर्ट के पूर्व निर्णय को बरकरार रखा।


सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि यदि किसी भी भर्ती प्रक्रिया में असंवैधानिक तरीके अपनाए गए हैं, तो उसे कानूनी संरक्षण नहीं मिल सकता। भले ही चयनित उम्मीदवारों ने वर्षों तक काम किया हो और उनकी बर्खास्तगी से पहले उन्हें सुनवाई का अवसर न दिया गया हो, फिर भी अवैध नियुक्तियों को रद्द किया जा सकता है।


यह मामला 2010 में जारी एक विज्ञापन से जुड़ा है, जिसके तहत अमृत यादव सहित कई अभ्यर्थियों की चतुर्थ श्रेणी के पदों पर नियुक्ति हुई थी। लेकिन बाद में इस विज्ञापन को रद्द कर दिया गया। इसके खिलाफ नियुक्त अभ्यर्थियों ने पहले झारखंड हाईकोर्ट में याचिका दायर की, लेकिन वहां से राहत नहीं मिली। इसके बाद उन्होंने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया, परंतु वहां भी उनकी याचिका खारिज कर दी गई। अब सबसे बड़ा सवाल उठता है कि क्या सरकार इन अभ्यर्थियों से इतने सालों तक दिए गये वेतन को वापस लेगी। या उन्हें माफ कर देगी। इसके अलावा पुन नियुक्ति प्रक्रिया में कितने लोग क्वालिफाई कर पाएंगे।