डेस्क:
झारखंड और छत्तीसगढ़ (Jharkhand and Chhattisgarh) के बीच कीनन स्टेडियम (Keenan Stadium) में रणजी मुकाबला खेला जा रहा है। 10 जनवरी से मुकाबले की शुरूआत हुई है। आज खेल का दूसरा दिन है। इस मुकाबले में कुछ ऐसा देखने को मिला है जो रणजी के 88 साल के इतिहास में कभी किसी ने नहीं देखा था। मैदान में कुछ बहुत अलग देखने को मिल रहा है। जिसे देखकर लोग चौंक भी रहे है साथ ही काफी खुश भी है। दरअसल रणजी के 88 साल के इतिहास में पहली बार पुरूषों के मैच में अंपायरिंग करने महिला आई है। इस महिला का नाम गायत्री वेणुगोपाल (Gayatri Venugopal) है। बता दें कि इससे पहले 43 वर्षीय गायत्री BCCI की ओर से आयोजित जूनियर किक्रेट में अंपायरिंग कर चुकी हैं। वह रणजी में फोर्थ अंपायरिंग भी कर चुकी हैं।
आज जिदंगी का सबसे बड़ा दिन
गायत्री वेणुगोपाल से जब पूछा गया कि आपको कैसा लग रहा है तो उन्होंने बताया कि आज का दिन मेरे लिए बहुत बड़ा दिन है। मुझे भारत के सबसे बड़े घरेलू मैदान में मुख्य अंपायर की भूमिका निभाने का मौका मिला रहा है। यहां तक पहुंचने में मेरे परिवार का बहुत बड़ा योगदान रहा है। मेरे परिवार ने क्रिकेट छोड़ने के बाद भी मुझे इससे जुड़े के लिए हमेशा प्रेरित किया है।
कंधे की चोट के कारण छोड़ा था खेलना
43 साल की वेणुगोपालन दिल्ली की रहने वाली हैं। उन्होंने हमेशा से क्रिकेटर बनने का देश के लिए खेलने का सपना देखा था। लेकिन शायद नियती को कुछ और ही मंजूर था। कंधे की चोट के कारण उनका यह सपना टूट गया। फिर भी उन्होंने हिम्मत नहीं हारी। BCCI की परीक्षा पास करने के बाद साल 2019 में अंपायरिंग शुरू की। पहले रणजी ट्रॉफी में रिजर्व अंपायर (चौथे अंपायर) की भूमिका निभाई। और आज पुरूषों के मैच में अंपायरिंग करती नजर आ रही हैं। BCCI महिला अंपायरिंग के मामले में काफी पीछे है। पंजीकृत 150 अंपायर में सिर्फ तीन महिला हैं।