द फॉलोअप डेस्कः
झारखंड से हर साल 33 हजार लड़कियों की मानव तस्करी हो रही है। इनको अवैध रूप से दूसरे राज्यों में काम करने के लिए भेजा जाता है। यह लड़कियां सबसे अधिक 14 से 18 वर्ष के बीच की होती है। सबसे ज्यादा ट्रैफिकिंग साहिबगंज, पाकुड़, पश्चिम सिंहभूम, सिमडेगा, गुमला, खूंटी और लातेहार से होती है। यह जानकारी बाल कल्याण संघ और डॉ रामदयाल मुंडा ट्राईबल रिसर्च इंस्टीट्यूट की रिसर्च में सामने आई है। इन लड़कियों में 98 फ़ीसदी लड़कियां आदिवासी है। आर्थिक रूप से कमजोर होने की वजह से ही यह लड़कियां ट्रैफिकिंग का शिकार होती है।
दलालों की अहम भूमिका होती है उकसाने में
ऐसी जानकारी सामने आई है कि ट्रैफिकिंग के लिए उकसाने में दलालों व रिश्तेदारों की भूमिका सबसे ज्यादा है। 31 प्रतिशत मामलों में दलाल, 29% मामलों में रिश्तेदार और 7% मामले में दोस्त शामिल रहते हैं। यह जानकारी ट्रैफिकिंग की शिकार लड़कियों से मिली है। जिनको रेस्क्यू किया गया है। ट्रैफिकिंग के मुख्य कारण को देखें तो इसमें आर्थिक स्थिति कमजोर होना, पारिवारिक माहौल खराब होना, परिवार में कमाई को लेकर लड़ाई झगड़ा होना, शिक्षा का अभाव होना, शहर में रहने की इच्छा होना, दलालों व साथियों द्वारा ज्यादा पैसे कमाने का लालच देना, अच्छा जीवन शैली जीने का प्रलोभन देना आदि शामिल है।
1008 मामले में दर्ज हुए 4 साल में
सीआईडी के अनुसार पिछले 4 वर्षों में ट्रैफिकिंग के 1008 मामले दर्ज हुए हैं 496 तस्करों की गिरफ्तारी हुई। 2017 से 2020 के बीच सबसे अधिक सिमडेगा में 176 केस दर्ज हुए 104 तस्करों की गिरफ्तारी हुई। गुमला में 128 के दर्ज हुए वहीं 75 की गिरफ्तारी हुई। रांची में 65 केस दर्ज हुए 15 तस्कर पकड़े गए।