द फॉलोअप डेस्कः
सड़के गांव की दर्पण होती है। सड़कों से ही जिले के विकास की गति का पता चलता है, लेकिन आज भी किसी गांव में सड़क ना हो तो उसकी बात ही निराली है। सिमडेगा में दिया तले अंधेरा यह कहावत चरितार्थ होता है। सिमडेगा समाहरणालय से महज 3 किलोमीटर पीछे बड़ाबरपानी पंचायत के कोलियादामर गांव में मूलभूत सुविधाओं की घोर कमी है। इस गांव ने आजादी के बाद से लेकर आज तक कई मूलभूत सुविधाओं की कमी का दंशा झेला। इसके बाद गांव में धीरे-धीरे बिजली पहुंची पानी पहुंची, लेकिन आज तक इस गांव की सड़क नहीं बनी। जिसकी वजह से लोगों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।
बारिश में टापू बन जाता है गांव
गांव की महिला ने बताया कि बारिश के दिनों में गांव टापू बन जाता है। यहां से लोगों का आवागमन में काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। महज 3 किलोमीटर में मुख्यालय पहुंचने की बजाय 12-13 किलोमीटर घूम कर जाना पड़ता है। ग्रामीण बता रहे हैं कि गांव में सरकार की ओर से अबुआ आवास के लिए सूची तो बनाई गई ,लेकिन आज तक गांव में किसी को आवास नहीं मिला। कई लोगों से पंचायत सचिव के द्वारा आवास के नाम पर पैसे भी लिए गए लेकिन आज तक उन्हें नहीं मिला। ग्रामीण महिलाओं ने आरोप लगाया कि रोजगार सेवक द्वारा पैसा लेकर उन्हें आवास नहीं दिया गया।
गांव के युवक ने बताया कि गांव में एक स्कूल था जिसे मर्ज करते हुए गांव से कुछ दूर भेज दिया गया, जिससे कि यहां के पढ़ने वाले बच्चों को आवागमन में काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। इसके अलावा गांव में कई अन्य समस्याएं हैं जिन्हें देखने वाला कोई नहीं है। गांव की वृद्ध महिला एंजेला बाघवार ने बताया कि गांव में पेंशन के लिए कई बार लिखित दिया गया लेकिन आज तक पेंशन नहीं मिल रहा है। गांव में कई समस्याएं हैं जो देखने वाला कोई नहीं है। ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर गांव का विकास कब होगा। जहां एक और सरकार ग्रामीण विकास की बात करती है तो वहीं दूसरी ओर गांव में आज भी समस्या धरी की धरी रह गई।