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बिजली का मारा, ढिबरी ही सहारा : जलडेगा के 21 गांवों में आजादी के 77 साल बाद भी नहीं पहुंची बिजली

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आलोक कुमार

आजादी के 77 साल बीत जाने के बाद भी सिमडेगा जिला अंतर्गत जलडेगा प्रखंड के 776 परिवारों के घरों में अभी तक बिजली नहीं जली है। जबकि गरीबों की झोपड़ी को रोशन करने के लिए राजीव गांधी विद्युत परियोजना संचालित होती रही है। अब दीनदयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजना और मुख्यमंत्री उज्ज्वल झारखंड योजना के तहत गरीबों तक बिजली पहुंचाने के लिए केंद्र व राज्य सरकार दावा कर रही है। लेकिन जलडेगा में 7 पंचायतों के  21 गांव/टोलों के हिस्से में अभी कुछ भी नहीं आया है। यहां के बच्चे आज भी डिजिटल इंडिया कि दुनिया से कोसों दूर है, यहां हजारों की संख्या में ग्रामीण आज भी रात के अंधेरे में रहने को मजबूर हैं। बिजली के लिए जिला प्रशासन, विधायक व जनप्रतिनिधियों से कई बार शिकायत की गयी लेकिन किसी ने इन गांवों की तरफ ध्यान नहीं दिया जिसके कारण यहां के लोग आज तक बिजली की सुविधा से वंचित है। सरकार ने हर घर बिजली पहुंचाने का वादा तो किया लेकिन आज भी इन गांवों के लोग बिजली के लिए लालायित हैं। सरकार के विभिन्न महत्वपूर्ण योजनाओं के द्वारा हर गांव में बिजली पहुंचाने का काम किया गया, लेकिन बिजली विभाग की लापरवाही और उदासीन रवैए के कारण जलडेगा प्रखंड के इन गांवों में बिजली नहीं पहुंच पाई है। 

इन गांव/टोलों में आज तक नहीं पहुंची बिजली

पंचायत - लमडेगा
लतापानी, बिझिंयापानी, डाडपानी, डहुकोना, तयोरदा, सेमेरिया - 400 परिवार

पंचायत - टाटी
नवा टोली - 32 परिवार
गिरजा टोली - 18 परिवार 
जोटो टोली - 15 परिवार 
पकोटा टोली - 20 परिवार
पहान टोली - 15 परिवार 
बरबेड़ा (लेको टोली) - 35 परिवार

पंचायत - पतिअम्बा
कारीमाटी (बनटोली) - 10 परिवार
खरवागढ़ा (गट्टीगढ़ा, पहनटोली,  पतराटोली, बिलाईगढ़ा) - 70 परिवार

पंचायत - कुटुंगिया
कुलाओड़ा - 47 परिवार

पंचायत - परबा
बेंदोसेरा (भालूघुटखुरा) - 19 परिवार

पंचायत - टीनगिना
टीकरा (डोंगीझरिया) - 75 परिवार

पंचायत - लम्बोई
पहाड़ टोली - 20 परिवार

रात होने से पहले महिलाएं बना लेती हैं खाना

इन गांव में सैकड़ों परिवार एवं हजारों की संख्या में लोग रहते हैं। शाम होने से पहले महिलाएं खाना बना लेती है। गांव के बच्चे अपने सपने पूरे करने के लिए लालटेन व ढिबरी में पढ़ने को विवश हैं। बरसात के मौसम में अंधेरा होने से जहरीले कीड़े मकौड़े के काटने का खतरा बना रहता है। यही नहीं यह सभी गांव हाथी प्रभावित गांव में आते हैं, बिजली नहीं रहने के कारण हर बार जंगली हाथियों का झुंड गांव पहुंच जाता है और गरीबों के घरों को अपना निशाना बना कर घरों में भंडारित अनाजों को भी खा जाता है। डिजिटल टेक्नोलॉजी के इस युग में गांव में कुछ ही लोगों के पास सोलर प्लेट है। मोबाइल के इस युग में इस गांव में बिजली नहीं रहने के कारण इंटरनेट की दुनिया से लोग बहुत दूर हैं। बिजली नहीं पहुंचने से कई घरों में आज तक मोबाइल नहीं है। संचार क्रांति के जमाने में भी इस गांव के लोग टेलीविजन तक देखने से महरूम हैं। 

गांव में बिजली खंभा तक नहीं लेकिन विभाग ने घरों में लगा रखा है मीटर

ग्राउंड रिपोर्टिंग के दौरान पता चला कि बिजली विभाग ने कई गांवों में बिना बिजली के ही मीटर लगा रखा है। लोग मीटर को अपने घरों में रखे हुए हैं। ग्रामीणों ने बताया कि बिजली के नाम पर उनके गांव में खंभा तक नहीं लगा है न ही तार पहुंचा है फिर भी मीटर दिया गया है।


 

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