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पलायन : रोजगार के अभाव में पलायन को मजबूर झारखंडी, लोहरदगा के मजदूरों ने बयां किया दर्द

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लोहरदगा: 

शंख नदी चेक पोस्ट के पास जारी वाहन चेकिंग अभियान के दौरान एक बस में 10 मजदूर मिले। सभी मजदूर रोजगार की तलाश में बिहार जा रहे थे। डीटीओ अमित बेसरा ने सबको रोका। लेबर डिपार्टमेंट को इन्फॉर्म किया गया। लेबर डिपार्टमेंट (labor department) के अधिकारी ने आकर पलायन कर रहे मजदूरों के दस्तावेजों की जांच की। जांच के बाद सबको लेबर डिपार्टमेंट ले जाया गया जहां उनका श्रम कार्ड बनाया जाएगा। 10 की संख्या में मजदूरों का लोहरदगा से पलायन एक चिंता का विषय है।

बिहार के ईंट भट्ठों में काम करने जा रहे थे
पलायन कर रहे मजदूरों ने बताया कि वे बिहार के ईंट भट्ठों में काम करने जा रहे थे। मजदूरों ने बताया कि वे लोहरदगा जिले के ग्राम जूरिया स्थित करम टोली के रहने वाले हैं। वे सभी बिहार (Bihar) में रामगढ़ स्थित ईंट भट्ठे में काम करने जा रहे थे। मजदूरों ने बताया कि लोहरदगा (lohardaga) में उनको कोई रोजगार नहीं मिला।

परिवार का भरण-पोषण करना मुश्किल हो रहा था। मजबूरन उनको पलायन के लिए विवश होना पड़ा। श्रमिकों का कहना था कि यदि जिले में ही रोजगार मिल जाता तो परिवार से दूर जाने की जरूरत ही नहीं पड़ती। फिलहाल सबका श्रम कार्ड बनाया जा रहा है। 

डीटीओ ने जांच के दौरान सबको रोका
श्रम विभाग के अधिकारी ने बताया कि उनको सूचना मिली थी कि 10 मजदूर बिहार जा रहे हैं। पूछने पर पता चला कि मजदूरों का श्रम कार्ड नहीं बना था। सबको विभाग कार्यालय लाया गया और सभी मजदूरों का श्रम कार्ड बनाया जा रहा है। अधिकारी का कहना था कि जानकारी के अभाव में लोग सरकारी योजनाओं के लाभ से वंचित रह जाते हैं। 

जानकारी के अभाव में पलायन करते हैं! 
गौरतलब है कि हाल ही में अफ्रीकी देश माली में फंसे गिरिडीह और हजारीबाग जिले के 33 श्रमिकों को वापस झारखंड लाया गया। 1 वर्ष पहले एक कंपनी में काम करने गये इन श्रमिकों का वेतन बीते 4 माह से रोक दिया गया था। वे काफी परेशानी में थे। ऐसे में मजदूरों ने सोशल मीडिया में वीडियो डालकर मदद मांगी थी। अधिकारियों का कहना है कि जानकारी के अभाव में मजदूर पलायन को मजबूर होते हैं। फर्जी कंपनियों के चंगुल में फंस जाते हैं।