द फॉलोअप डेस्क
असिस्टेंट प्रोफेसर पद पर अनुसूचित जनजाति (ST) के अभ्यर्थी की नियुक्ति मामले में झारखंड हाईकोर्ट की डबल बेंच ने सिंगल बेंच के आदेश के खिलाफ दाखिल JPSC की अपील को खारिज कर दिया है।
सिंगल बेंच के आदेश को बरकरार रखते हुए हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश एम. एस. रामचंद्र राव की डबल बेंच ने एक लाख रुपए का जुर्माना लगाया है। बता दें कि सभी पक्षों की ओर से पिछली सुनवाई में बहस पूरी हो चुकी थी। इसके बाद अदालत ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था।
क्या है मामला?
बता दें कि यह मामला मनोज कुमार कच्छप से जुड़ा हुआ है। JPSC की एक परीक्षा में मनोज ने भाग लिया था, लेकिन JPSC के खाते में तकनीकी कारणों से जमा की गई परीक्षा शुल्क की राशि क्रेडिट नहीं हो पाई थी। इस कारण उसके आवेदन को अमान्य मान लिया गया था। इसके बाद मनोज कुमार ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। हाईकोर्ट की एकल पीठ ने मनोज के पक्ष में फैसला सुनाया था।
तकनीकी खामी अधिकार नहीं छीन सकती
हाईकोर्ट की एकल पीठ ने कहा, "क्योंकि अभ्यर्थी अदालत के आदेश के आलोक में इंटरव्यू में शामिल हो चुका है और उसने परीक्षा में सर्वोच्च अंक प्राप्त किए हैं, ऐसे में नियुक्ति प्रक्रिया से उसे बाहर नहीं किया जा सकता। अनुसूचित जनजाति (ST) वर्ग से कुछ परीक्षाओं में परीक्षा शुल्क नहीं लिया जाता, ऐसे में तकनीकी त्रुटि उसके अधिकार को छीन नहीं सकती।"
हाईकोर्ट की खंडपीठ में JPSC ने दी थी चुनौती
मनोज कुमार कच्छप की रिट याचिका को स्वीकार करते हुए झारखंड हाईकोर्ट ने चार सप्ताह के भीतर नियुक्ति प्रक्रिया पूरी करने और नियुक्ति पत्र जारी करने का निर्देश आयोग को दिया था। इसे हाईकोर्ट की खंडपीठ में JPSC ने अपील दाखिल कर चुनौती दी थी।