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दिवड़ी मंदिर विवाद : टोड़ांग मैदान में हुआ आदिवासी संगठनों का जुटान, सरकार को 5 सूत्री मांगों का अल्टीमेटम दिया 

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तमाड़ 
झारखंड के रांची तमाड़ स्थित दिवड़ी मंदिर विवाद बढ़ता ही जा रहा है। आज आदिवासी जनाक्रोश सभा के बैनर तले राज्यभर के अलावे समीपवर्ती उड़ीसा और बंगाल के विभिन्न आदिवासी संगठनों का जुटान तमाड़ स्थित टोड़ांग मैदान में हुआ। जिसमें भारी संख्या में महिला-पुरुष शामिल हुए। मुद्दा था दिवड़ी मंदिर नहीं आदिवासीयों का  दिवड़ी दिरी है। मंदिर का सरकारी ट्रस्ट बनाना गलत है। मंदिर में पंडित नहीं पाहन पुजारी होना चाहिये। इन्हीं सब मुद्दों को लेकर आदिवासी समाज के अगुवा नेताओं और धर्मगुरू बंधन तिग्गा के नेतृत्व में जनाक्रोश सभा का आयोजन किया गया।  
जनाक्रोश सभा में सरकार को पांच सूत्री अल्टीमेटम के द्वारा निर्णय लिया गया कि  मंदिर पर बने ट्रस्ट को निरस्त किया जाये। मंदिर में तालाबंदी मामले में दर्ज मामले को वापस कर गिरफ्तार अभियुक्त को रिहाई किया जाये। गांव-गांव में सरना धर्म स्थल को चिन्हित करते हुये सरना धर्म न्यास बोर्ड गठन किया जाये। अगर इनकी मांगें नहीं मानी गयी और मामले में मुख्य मंत्री संज्ञान नहीं लिये तो तो एक अक्टुबर को पुरे राज्य के चौक चौराहों पर मुख्य मंत्री हेमंत सोरेन का पुतला दहन किया जायेगा। और चरणबद्ध आंदोलन जारी रहेगा। 


बता दें कि मंदिर के सफल  संचालन के लिए 2021 में सरकार द्वारा ट्रस्ट का गठन किया गया जिसमें बुंडू के एसडीएम अध्यक्ष और मंदिर के मुख्य पुजारी और पाहन सहित अन्य सदस्य को शामिल किया गया। तभी से मंदिर पर विवाद शुरु हो गया। ट्रस्ट बनने से पहले मंदिर का संचालन गांव के कुछ परिवार के लोगों के द्वारा होता था। जब 2021 में  ट्रस्ट बन गया और तान साल के अंदर ही मंदिर के दान पेटी से लगभग 75 लाख और सोने चांदी के जेवर जमा हुए। इसी बीच पिछले साल सुबे के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन सपरिवार मंदिर पहुंचे और मंदिर के सुंदरीकरण के लिये आठ करोड़ की राशि निर्गत की। इसके बाद फिर से मामला तूल पकड़ने लगा और ग्रामीणों के द्वारा  मंदिर के सुंदरीकरण के काम को रोक लगा दिया गया।  पांच सितंबर  को कुछ आदिवासी नेता के अगुवाई में मंदिर परिसर में बैठक आयोजन हुआ। मंदिर पर ताला बंदी कर पूजा अर्चना रोक दी गयी। जिसमें 18  लोगों पर नामजद और 100 अज्ञात के खिलाफ मामला दर्ज हुआ।  जिसमें दो मुख्य आरोपी को पुलिस गिरफ्तार कर जेल भेज चुकी है। 


इधर आदिवासी जनाक्रोश सभा के अह्वान पर एहतियात के तौर पर बुंडू एसडीएम ने मंदिर परिसर में शांति व्यवस्था और मंदिर में पुजा पाठ पर विध्न न हो इसके लिये धारा 163 लगा दिया और भारी संख्या में पुलिस बलों की तैनाती की गयी। प्रेम शाही मुंडा ने बताया कि बैठक में सरकार को पांच सूत्री अल्टीमेटम के तहत ट्रस्ट भंग करने, मंदिर में तालाबंदी मामले में गिरफ्तार आरोपी को रिहा करने सहित अन्य मांगें शामिल हैं। वहीं इन मामले पर मुख्यमंत्री संज्ञान नहीं लेते हैं तो उनका पुतला दहन किया जायेगा। बुंडू एसडीएम ने कहा कि मंदिर के विवाद पर हाईकोर्ट से ये लोग केस हार चुके हैं। उन्हें कानूनी प्रक्रिया के तहत सुप्रीम कोर्ट जाना चाहिये।


 

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