डेस्क:
झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) ने कोरोना काल के बाद 2 साल बाद गुरुवार को दुमका में अपना स्थापना दिवस मनाया। यह पार्टी की 44वीं स्थापना दिवस थी। इस दौरान उपराजधानी दुमका में दिशोम गुरु शिबू सोरेन, सीएम हेमंत सोरेन, सुप्रियो भट्टाचार्य समेत पार्टी के अन्य नेता मौजूद रहे। सभी की उपस्थिति में पार्टी ने 47 सूत्री प्रस्ताव पारित कर सरकार की कार्यसूची में प्राथमिकता से शामिल करने की मांग की गई है। जेएमएम द्वारा पारित 47 सूत्री मांग में झारखंड में पूर्ण नशाबंदी लागू करने की मांग भी की गई है। जानकारी हो कि बिहार,गुजरात इन राज्यों में शराब पर पूर्ण तरीके से प्रतिबंध लगा है। अगर जेएमएम द्वारा पारित की गई इस मांग पर सरकार ध्यान देती है तो बिहार के तर्ज पर झारखंड में भी शराब बंद हो जाएगी। बता दें कि झामुमो के एजेंडे में राज्य में पूर्ण नशाबंदी भी है। 1977 में जब पहली बार मोर्चा की स्थापना दुमका स्थित एसपी मेमोरियल कॉलेज मनाया गया था तब से नशाबंदी एजेंडे में है।
जेएमएम की मजबूती से आगे बढ़ने की रणनीति तैयार
राजभवन से 1932 के खतियान पर आधारित विधेयक वापस होने के बावजूद सत्तारूढ़ झारखंड मुक्ति मोर्चा ने इस मुद्दे पर और मजबूती से आगे बढ़ने की रणनीति तैयार की है। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन शिबू सोरेन की उपस्थिति में पारित प्रस्तावों में 1932 के खतियान आधारित स्थानीय नीति घोषित करने की मांग की गई है। इसके साथ ही झारखंड में तृतीय व चतुर्थ वर्गीय कर्मचारी के पद को पूर्णरूपेण स्थाई निवासी के वंशजों के लिए आरक्षित किए जाने की मांग रखी गई है।
एनआरसी का राज्य में कोई औचित्य नहीं
साथ ही मोर्चा ने भाजपा द्वारा संताल परगना में एनआरसी लागू करने की मांग को भी सिरे से ठुकराते हुए कहा है कि सीएए और एनआरसी का राज्य में कोई औचित्य नहीं है। उल्लेखनीय है कि भाजपा ने संथाल परगना की डेमोग्राफी में बदलाव की मांग करते हुए एनआरसी लागू करने को मुद्दा बनाया है। इसके अलावा जमीन संबंधी कानून सीएनटी और एसपीटी एक्ट को और सख्ती से लागू करने पर भी सहमति बनी है। प्रमंडलीय संयोजक सह झामुमो के केंद्रीय महासचिव विजय कुमार सिंह ने सभा का संचालन करते हुए इन प्रस्तावों को पड़ा तथा मंचासीन नेताओं और खचाखच भरे गाने मैदान में समर्थकों की भीड़ हाथ उठाकर इन प्रस्तावों पर मुहर लगाई।
ये हैं पारित मुख्य प्रस्ताव