द फॉलोअप डेस्कः
बिहार में जातीय गणना की रिपोर्ट सामने आने के बाद अन्य राज्यों में भी जातिगत गणना कराने की मांग जोर पकड़ सकती है। झारखंड में भी मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा है कि जिसकी जितनी आबादी, उसकी उतनी भागीदारी मिलनी चाहिए। इसलिए झारखंड सरकार ने राज्य में जातीय गणना कराने के लिए केंद्र सरकार को पत्र लिखा है। अगर झारखंड में जातीय गणना होती है तो कई सियासी दलों के लिए संकट पैदा हो सकता है क्योंकि यहां जनजातियों की तुलना में ओबीसी की आबादी ज्यादा है। ऐसे में सियासत पर इसका सीधा असर पड़ जाएगा। खासकर जनजातीय समुदाय के लिए एक बड़ा चैलेंज साबित होने वाला है।
50 प्रतिशत तक ज्यादा है पिछड़ा वर्ग
एक अखबार में छपी रिपोर्ट के अनुसार आजादी के पहले यहां जनजातियों की संख्या ज्यादा थी, लेकिन आजादी के बाद तेजी से घटी है। इसके उलट पिछड़े वर्ग की आबादी लगातार बढ़ी है। ओबीसी की आबादी 37 फीसदी से ज्यादा है। झारखंड राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग की गोपनीय रिपोर्ट की मानें तो यह प्रतिशत 50 फीसदी से ज्यादा है। ऐसे में झारखंड में जातीय गणना कराने के बाद जिसकी जितनी आबादी उसकी उतनी भागीदारी फार्मूले के तहत हर समुदाय अपनी हिस्सेदारी उसी अनुपात में मांग सकता है।