द फॉलोअप डेस्कः
भोपाल संसदीय क्षेत्र से सांसद की कुर्सी की दौड़ में 22 उम्म्मीदवार मैदान में थे। इनमें एक रिटायर्ड सिपाही बाबूलाल सेन मौलिक अधिकार पार्टी से और पूर्व डीजी मैथिलीशरण गुप्त निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में शामिल थे। हार-जीत की लड़ाई भले ही भाजपा और कांग्रेस में रही हो, लेकिन लोकप्रियता में सिपाही ने पूर्व डीजी को पीछे छोड़ दिया है। जबकि डीजी इंटरनेट मीडिया के अलावा अन्य गतिविधियों की वजह से लोगों के बीच चर्चा में बने रहते हैं। वहीं, बाबूलाल का इतना कोई खास परिचय आमजन के बीच नहीं है। दोनों की हार चर्चा का विषय बनी हुई है।
डीजी मैथिलीशरण भोपाल के, तो सिपाही बाबूलाल रीवा के रहने वाले हैं। 63 वर्षीय पूर्व डीजी मैथिलीशरण गुप्त कई वर्षों से भोपाल में ही रहते हैं। जबकि 59 वर्षीय बाबूलाल सेन ने स्वेच्छा से सेवानिवृत्ति ली है। वह अधिकांश समय रीवा में रहते हैं। लोकसभा चुनाव में बाबूलाल सेन को 720 मत और मैथिलीशरण गुप्त को कुल 427 मत मिले हैं। इस तरह पूर्व सिपाही ने डीजीपी से 293 मत अधिक प्राप्त किए हैं।
22 उम्मीदवार में से 19 नोटा से हारे, सभी की जमानत होगी जब्त
भोपाल सांसद कुर्सी की दौड़ में कुल 22 उम्मीदवार शामिल थे। इनमें सें 19 ऐसे उम्मीदवार हैं, जो नोटा से ही हार गए। सिर्फ तीन ही इससे अधिक मत लेकर जीत हासिल कर सके हैं। जमानत बचाने के लिए इन उम्मीदवारों को कुल मतदान का 1.66 प्रतिशत हिस्सा प्राप्त करना था, लेकिन यह 318 से 3641 मत ही प्राप्त कर सके हैं। इनमें से कोई भी न तो 'नोटा' को हरा सका और न ही अपनी जमानत बचा सका है।
छह हजार 573 मत पाकर चौथे नंबर पर रहा नोटा
उम्मीदवारों को अपनी जमानत राशि बचाने के लिए लगभग 25 हजार मत लाना जरूरी था लेकिन भाजपा और कांग्रेस को छोड़ बाकि कोई भी इतने मत नहीं ला सका है। इसलिए उन्हें जमानत राशि नहीं मिल सकेगी। वहीं, लोकसभा चुनाव में चौथे नंबर पर सबसे अधिक मत पाकर छह हजार 573 नोटा है।