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झारखंड में लुंज-पुंज है कांग्रेस, आलाकमान भी जानता है; बदले नहीं तो हार जाएंगे: बंधु तिर्की

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द फॉलोअप डेस्क, रांची 

3 राज्यों के विधानसभा चुनावों में पार्टी की हार के बाद झारखंड कांग्रेस में घमासान मचा है। झारखंड कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष का नया बयान इस सिलसिले को आगे बढ़ाता है। बंधु तिर्की का मानना है कि कांग्रेस, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश और राजस्थान में इसलिए हारी क्योंकि वहां जमीन पर पार्टी की पकड़ कमजोर थी। बंधु तिर्की ने कहा कि जमीन पर मजबूत पकड़ नहीं होने का नतीजा यह हुआ कि राहुल गांधी, मल्लिकार्जुन खड़गे, प्रियंका गांधई और सोनिया गांधी की चुनावी सभाओं के बावजूद हम हारे। उन्होंने माना कि प्रदेश में पार्टी कमजोर है। यदि आमूल-चूल बदलाव नहीं हुए तो झारखंड भी हारेंगे। आदिवासी बहुल राज्य में इन बातों का रखें ध्यान
बंधु तिर्की ने कहा कि झारखंड आदिवासी बहुल राज्य है। उन्होंने प्रदेश का नेतृत्व कर रहे कांग्रेस के नेताओं पर सवाल उठाया। कहा कि प्रदेश में कांग्रेस की स्थिति ठीक नहीं है। उन्होंने आदिवासियों की भावनाओं का हवाला देते हुए झारखंड कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व में बदलाव की मांग की। तिर्की ने कहा कि अगर झारखंड में समय रहते आदिवासियों की भावनाओं को ध्यान में रख कर परिवर्तन नहीं किया गया तो छत्तीसगढ़ जैसा परिणाम झारखंड में भी देखने को मिल सकता है। उन्होंने कहा कि वैसे आदिवासी नेता को झारखंड का नेतृत्व सौंपी जानी चाहिए, जिनमें आदिवासियों के बीच जनाधार हो।

झारखंड में भी छत्तीसगढ़ जैसा खतरा हो सकता है
बंधु तिर्की ने कहा कि छत्तीसगढ़ में जैसे नतीजे आये हैं, उससे दिल्ली अच्छी तरह से वाकिफ है। कांग्रेस में खराब सांगठनिक स्थिति को जानते हुए भी आलाकमान इस मुद्दे को गंभीरता से नहीं ले रहा है। बंधु ने कहा की प्रदेश में 28 अनुसूचित जनजाति आरक्षित सीटें हैं लेकिन, अनुसूचित जाति और सामान्य सीटों पर भी हार जीत में आदिवासी वोटरों की बड़ी भूमिका है। उन्होंने छत्तीसगढ़ का उदाहरण देते हुए कहा कि चुनाव हारने की एक बड़ी वजह यह भी रही। छत्तीसगढ़ में कांग्रेस को अधिकतर आरक्षित सीटों पर हार का सामना करना पड़ा। कांग्रेस 29 आरक्षित सीटों में महज 12 ही जीत पाई। वहीं बीजेपी ने 29 में से 16 सीटों पर अपना कब्जा जमाया। कहा कि पार्टी ने उन आरक्षित सीटों को गवां दिया जिसपर 2018 के विधानसभा में जीत मिली थी। तब 29 आरक्षित सीटों में से 27 पर कांग्रेस ने जीत दर्ज की थी, बीजेपी 2 पर ही सिमट गई थी।

छत्तीसगढ़ में अधिकांश आरक्षित सीटों पर हारी पार्टी
बंधु तिर्की ने कहा कि जिस प्रकार छत्तीसगढ़ में आरक्षित सीटों पर कांग्रेस हारी है, वह झारखंड में हुए 2019 विधानसभा चुनाव के नतीजे से मेल खाता है। उन्होंने कहा कि 2019 के विधानसभा में कुछ इसी तरह के परिणाम आये थे। जहां 28 एसटी सीटों में से झामुमो ने 19 और कांग्रेस 6 सीटों पर जीत दर्ज की थी। वहीं 28 एसटी सीटों में बीजेपी को केवल 2 सीटों पर संतोष करना पड़ा था। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ में आदिवासी वोटरों ने जिस प्रकार कांग्रेस से किनारा किया, अगर नेतृत्व में परिवर्तन नहीं किया गया तो झारखंड में भी तस्वीर भी बदल सकती है।