रांची:
झारखंड विधानसभा के 1 दिवसीय विशेष सत्र में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन का भी संबोधन हुआ। संबोधन के दौरान मुख्यमंत्री ने 2 बड़े ऐलान किए। मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार जल्द ही झारखंड में 1932 का खतियान लागू करने जा रही है। यही नहीं, मुख्यमंत्री ने कहा कि उनकी सरकार ओबीसी आरक्षण को बढ़ाने की दिशा में भी जल्द ही पहल करने जा रही है।
मुख्यमंत्री ने सदन में किए 2 बड़े एलान
मुख्यमंत्री ने कहा कि झारखंड सरकार जल्द ही राज्य में 1932 का खतियान लागू करने की तैयारी में है। उन्होंने कहा कि हमारी सरकार 1932 का खतियान और ओबीसी के मामले में जल्द आगे बढ़ने वाली है। बीजेपी पर हमला बोलते हुए उन्होंने कहा कि 1985 पर आधारित स्थानीयता पूर्ववर्ती सरकार ने परिभाषित की। उन्होंने कहा कि जब 1985 की स्थानीयता घोषित हुई तो बीजेपी ताली बजाकर कह रही थी कि 85 ही बेस्ट है। लेकिन, हमलोग 1932 का खतियान लागू करने वाले हैं।
मुख्यमंत्री का ये ऐलान काफी चौंकाने वाला और अहम है क्योंकि यही वो हेमंत सोरेन हैं जिन्होंने 23 मार्च 2022 को इसी सदन में कहा था कि 1932 के खतियान पर आधारित स्थानीयता की मांग व्यवहारिक नहीं है। इससे राज्य में अफरा-तफरी मच जाएगी। तब मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य में स्थानीयता को लेकर कई सर्वे हुए हैं। 1964 में भी और 1985 में भी। 1932 भी है। हम किस सर्वे को मानें।
झामुमो विधायक सुदिव्य सोनू ने ये कहा!
सदन में झारखंड मुक्ति मोर्चा के विधायक सुदिव्य कुमार सोनू ने भी 1932 का मामला उठाया। उन्होंने कहा कि 1932 के खतियान को आधार बनाकर स्थानीयता लागू की जाए। उन्होंने कहा कि जो 1932 की आग को छुएगा वो जलकर राख हो जायेगा। सुदिव्य सोनू ने कहा कि झारखंडियों की एक ही पहचान-1932 का खतियान। झामुमो विधायक ने कहा कि 1985 को स्थानीयता बनाकर इन लोगों ने झारखंडियों और बाहरियों को एक साथ खड़ा कर दिया। उन्होंने कहा कि झारखंडी नौजवान चाहता है कि स्थानीयता का कटऑफ मार्क 1932 ही लागू किया जाये। गौरतलब है कि ऐसी ही बात शिक्षा मंत्री जगरन्नाथ महतो भी कह चुके हैं।
आजसू भी कई बार उठा चुकी है इसकी मांग
सोमवार को विशेष सत्र की शुरुआत से पहले विधानसभा भवन के मुख्य द्वार पर आजसू विधायक लंबोदर महतो भी धरने पर बैठे नजर आए। उन्होंने जो तख्तियां ले रखी थीं उसमें 1932 के खतियान पर आधारित स्थानीयता की मांग की गई थी। बोरियो विधानसभा सीट से झारखंड मुक्ति मोर्चा के विधायक लोबिन हेंब्रम भी बीते काफी समय से 1932 के खतियान पर आधारित स्थानीयता की मांग को लेकर अपनी ही सरकार के खिलाफ मुखर हैं और यात्रा निकालने तक की चेतावनी दे चुके हैं।
1932 के खतियान को लेकर हुए हैं आंदोलन
बता दें कि झारखंड में बीते कई महीनों से 1932 का खतियान लागू करने की मांग की जा रही है। कुछ महीने पहले मुख्य रूप से बोकारो और धनबाद से उठी ये मांग धीरे-धीरे राजधानी रांची तक पहुंची और अब विभिन्न जिलों तक फैल चुकी है। युवा नेता जयराम महतो इसी मांग को लेकर अचानक सुर्खियों में आए। राजभवन के सामने लंबे समय तक धरना भी दिया गया। बीजेपी और आजसू की तरफ से भी दबी जबान से ये मांग उठी तब मुख्यमंत्री ने 1932 के खतियान को लागू करना और इस पर स्थानीयता निर्धारित करने को अव्यवहारिक बताया था। कहा जाता है कि अब वे अपने नाराज विधायकों को साधने के लिए 1932 का मामला उठा रहे हैं।