द फॉलोअप टीम, रांचीः
झारखंड विधानसभा के स्थापना दिवस कार्यक्रम के दौरान सीएम हेमंत सोरेन ने विधानसभा को महापंचायत बताते हुए कहा कि ये राज्य का सबसे बड़ा पंचायत है। मंदिर, मस्जिद, गुरुद्वारा से भी ऊपर ये महापंचायत है। जाति धर्म वर्ग और पूरे झारखंड के आमजन के लिए ही नहीं बल्कि इस राज्य के जल, जंगल जमीन के लिए भी यह महापंचायत है। उन्होंने कहा कि यहां पर कार्य योजना सिर्फ आमजनों के लिए ही नहीं बल्कि जीव-जंतुओं के लिए भी बनती है। इसलिए ये उनके लिए भी महापंचायत है। यहां से नीतियां बनती है, विधेयक पारित होते हैं। लोगों का सरोकार यहां से जुड़ा है। इससे हम अंदाजा लगा सकते हैं कि विधानसभा, लोकसभा और राज्यसभा की महत्ता क्या है।
भारत के लोकतंत्र का पूरी दुनिया लोहा मानती है
सीएम ने कहा कि जो भी यहां पहुंचते हैं लाखों लोग मिलकर अपना एक प्रतिनिधित्व यहां भेजते हैं। काफी उम्मीद के साथ। आपको उनका भी यहां आवाज बननी पड़ती है जिनकी आवाजें यहां नहीं पहुंचती, जो ना बोल सकते है। ताकि सही तरीके से इस महापंचायत में पंचायती हो। इसलिए यहां सत्ता पक्ष होता है और विपक्ष होता है। हर पहलू के दो हिस्से होते हैं। सही और गलत। इसलिए हमें हर हाल में इस लोकतंत्र के महापंचायत को टूटने से, ढहने से, इसको नुकसान पहुंचाने से बचाना होगा। समयावधि के साथ हर चीज में बदलाव होता है। चाहे वह जीवित हो या निर्जीव। कुछ बदलाव अच्छे तो कुछ बुरे होते हैं। मेरा मानना है यह भारत देश-दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र है। दुनिया इसका लोह मानती है। हमारे पूर्वजों ने जैसे महात्मा गांधी, जवाहर लाल नेहरू के समय के लोकतंत्र और आज के लोकतंत्र में बहुत बदलाव हुए है। और उस बदलान में हमने क्या खोया, क्या पाया उन सब चीज को लेकर आज देश की आजादी के 75वें साल और इस राज्य गठन के 23वें साल में चल रहे हैं।
लोकतंत्री की जड़ों को करना होगा मजबूत
मुख्यमंत्री ने कहा कि लोकतंत्र की असल परिभाषा विधायकी कार्य से निकलता है। जनप्रतिनिधि के द्वारा इस महापंचायत में कैसे महापंचायती की जाती है। इसलिए हमें गंभीरता से आज ऐसे संस्थानों के प्रति अपनी संवेदनाओं और कर्तवयों के प्रति निर्वहन करने की आवश्यकता है। इस महापंचायत में विधायकों की बहुत अहम भूमिका होती है। सरकार के हर निर्णय पर राज्यपाल का मुहर लगता है, इसके बाद ही महापंचायत के पंचायती की प्रक्रिया पूरी होती है। यह कोई आमसभा नहीं है। यहां विधानसभा के ही सभी सदस्य है। राज्यपाल भी उपस्तिथ हैं। मीडिया भी है इसलिए हमें मिलजूलकर इस दिवस को मनाने की आवश्यकता है। हमें लोकतंत्र की जो जड़े हैं उसको और मजबूत करने का संकल्प लेना होगा। बाबा भीम राव अंबेडर के संविधान को और आगे मजबूती से आगे ले जाए।
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