द फॉलोअप डेस्क
झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने असम और अंडमान निकोबार जैसे राज्य में रह रहे झारखंड के लगभग 15-20 लाख आदिवासी लोगों को राज्य में वापस आने का न्योता दिया है। इस संबंध में झारखंड कैबिनेट की बैठक में एक महत्वपूर्ण फैसला लिया गया। हेमंत सोरेन ने कहा कि झारखंड के आदिवासी मूल निवासियों को अंग्रेजों ने काम करने के लिए विभिन्न राज्यों में ले जाकर बसाया था। इन लोगों को उन राज्यों में आदिवासी का दर्जा प्राप्त नहीं होने के कारण आदिवासी कल्याण विभाग द्वारा चलाई जा रही योजनाओं का लाभ नहीं मिल पाता है। इस समस्या को दूर करने के लिए झारखंड सरकार ने आदिवासी कल्याण मंत्री के नेतृत्व में एक समिति का गठन करने का फैसला किया है। यह समिति उन आदिवासियों के पास जाकर उनकी समस्याओं को जानेगी और सरकार को अवगत कराएगी।
हेमंत सोरेन ने कहा कि इन आदिवासी समुदाय की समस्याओं और जरूरतों को ध्यान में रख कर नीति तैयार की जाएगी। इसके बाद समिति आदिवासियों के आवास, आदिवासी का दर्जा, नौकरी की समस्या, राज्य में उनके अधिकार की बात समेत अन्य पहलुओं पर रिपोर्ट देगी। इसके बाद सरकार उनके हित में कदम उठाएगी।
कैबिनेट की बैठक के बाद मीडिया से बात करते हुए हेमंत सोरेन ने कहा कि यह सरकार हमेशा जनता के हित में काम करती है और जो कहती है वो करती है। उन्होंने कहा कि आज भी बड़ी संख्या में नियुक्ति पत्र दिए गए हैं। इससे राज्य में स्वास्थ्य व्यवस्था मजबूत होगी और लोगों को इसका लाभ मिलेगा।