द फॉलोअप डेस्क
झारखंड BJP के प्रदेश अध्यक्ष और पूर्व सीएम बाबूलाल मरांडी ने मुख्यमंत्री हेमंत पर एक बार फिर निशाना साधा है। बाबूलाल ने राज्य की शिक्षा व्यवस्था पर कई सवाल खड़े किए है। बाबूलाल ने कहा कि दूसरे राज्य के स्कूलों में बच्चे पढ़ने जाते हैं लेकिन झारखंड में हेमंत सोरेन की सरकार है। यहां के स्कूलों में मवेशी पढ़ते हैं। यहां शिक्षा के मंदिर में मवेशियों के रहने खाने एवं गोबर करने के लिए आरक्षित जगह है। बाबूलाल ने सीएम पर तंज कसते हुए कहा कि राज्य के स्कूल हों या फिर सरकार, दोनों जगह यही हाल है। राज्य में जनता का प्रतिनिधित्व करने वाली सरकार की जगह पर भ्रष्टाचारी हेमंत सोरेन और उनके करीबियों ने ले ली है। बता दें कि उक्त बातें बाबूलाल ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखी है।
जर्जर मकानों का निर्माण कर उसका नाम स्कूल रख दिया
बाबूलाल ने ट्वीट किया स्कूलों में मवेशियों का वास, नहीं है हेमंत से कोई आस। स्कूलों का हाल ये है कि झारखंड के स्कूलों में पहले मवेशी अपना अध्ययन कार्य सम्पन्न करते हैं,उसके बाद थोड़ी बहुत जगह मिली तो बच्चे एवं शिक्षार्थी आते हैं। माना कि उनके बैठने की जगह मवेशियों ने ले ली है ,पर यही तो सरकार में भी हो रहा है जनता का प्रतिनिधित्व करने वाली सरकार की जगह पर भ्रष्टाचारी हेमंत महोदय एवं उनके करीबियों ने ले ली है। खैर हमारे मुख्यमंत्री का उद्देश्य - बच्चों को पढ़ने के लिए प्रेरित करने की बजाय मवेशियों के लिए जर्जर मकानों का निर्माण कराना है और फिर उसका नाम -स्कूल रख देना है। फर्क इतना है कि दूसरे स्कूल में बच्चे पढ़ने जाते हैं,पर हेमंत सरकार में शिक्षा के मंदिर में मवेशियों के रहने खाने एवं गोबर करने के लिए आरक्षित जगह है।
स्कूलों में मवेशियों का वास,
— Babulal Marandi (@yourBabulal) October 31, 2023
नहीं है हेमंत से कोई आस
स्कूलों का हाल -
झारखण्ड के स्कूलों में पहले मवेशी अपना अध्ययन कार्य सम्पन्न करते हैं,उसके बाद थोड़ी बहुत जगह मिली तो बच्चे एवं शिक्षार्थी आते हैं, माना कि उनके बैठने की जगह मवेशियों ने ले ली है ,पर यही तो सरकार में भी हो… pic.twitter.com/WRBHmabUuR
हेमंत सरकार की शिक्षा के क्षेत्र में क्रांतिकारी सोच
बाबूलाल ने आगे लिखा है कि जरूरी थोड़ी न है कि स्कूलों में बेंच और डेस्क हो ही ,जब मवेशी बिना डेस्क बेंच के पढ़ सकते हैं तो झारखंड के बच्चे क्यों नहीं। जब मवेशी तिरपाल के नीचे सो सकते है। आराम कर सकते हैं तो ये बच्चे जिनको सिर्फ पढ़ाई करनी है। उन्हें अच्छे भवन और अच्छी सुविधाओं की क्या जरूरत है। बाबूलाल ने तंज कसते हुए कहा कि पढ़ने के लिए शिक्षक जरूरी थोड़ी न होते हैं स्कूल चलाने के लिए,बच्चे इतने समझदार हो गए हैं कि वो खुद से पढ़ सकते हैं। उन्हें किसी के टुकड़े में पड़ने और पढ़ने की जरूरत नहीं है।
हमारे वाट्सअप ग्रुप से जुड़ने के लिए इस लिंक पर क्लिक करें : https://chat.whatsapp.com/FUOBMq3TVcGIFiAqwM4C9N