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मांझी परगना महासम्मेलन में उठा कथित घुसपैठ का मामला, इसमे चंपाई सोरेन की एंट्री के क्या हैं मायने

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द फॉलोअप डेस्क 
पाकुड़:
संथाल परगना क्षेत्र में बढ़ती बांग्लादेशी घुसपैठ को लेकर आदिवासी समाज में गहरी चिंता व्याप्त है। इसी मुद्दे पर सोमवार को पाकुड़ जिले के हिरणपुर प्रखंड के डांगापाड़ा फुटबॉल मैदान में मांझी परगना महासम्मेलन का आयोजन किया गया। इसमें हजारों की संख्या में आदिवासी समाज के पारंपरिक ग्राम प्रधान और मार्गदर्शक शामिल हुए। झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री चंपाई सोरेन ने मुख्य अतिथि के रूप में कार्यक्रम में शिरकत किया। 
पिछले 2 दिनों से लगातार हो रही तेज बारिश के बावजूद हजारों की संख्या में जुटे आदिवासी समाज के पारंपरिक ग्राम प्रधानों तथा मार्गदर्शकों ने खुल कर स्वीकार किया कि घुसपैठ के कारण आदिवासी समाज का अस्तित्व संकट में है तथा घुसपैठिए हमारी जमीनों को हड़प रहे हैं, और उनकी वजह से समाज की बहन- बेटियों की अस्मत खतरे में है।
पाकुड़ में आदिवासी समाज अल्पसंख्यक हो चुका है
चंपाई सोरेन ने बाबा तिलका मांझी, वीर सिदो-कान्हू, चांद-भैरव एवं फूलो-झानो को नमन करते हुए बताया कि हमारे आदिवासी समाज ने जल-जंगल-जमीन तथा भाषा-संस्कृति एवं अस्तित्व की लड़ाई में कभी आत्म सम्मान से समझौता नहीं किया। हम उस समाज से आते हैं, जिसने अंग्रेजों के खिलाफ पहला विद्रोह किया। लेकिन आज पाकुड़ में आदिवासी समाज अल्पसंख्यक हो चुका है। उन्होंने कहा कि कुछ राजनीतिक दल वोट बैंक की राजनीति के चलते इस गंभीर मुद्दे की अनदेखी कर रहे हैं। उन्होंने यह भी बताया कि संथाल परगना काश्तकारी अधिनियम के तहत आदिवासी महिलाओं को पैतृक संपत्ति में अधिकार नहीं मिलता, फिर भी जमीनें कैसे हड़पी जा रही हैं, इसकी जांच होनी चाहिए।
उन्होंने कहा कि संथाल परगना की सामाजिक व्यवस्था को बनाए रखने के लिए हम एक बार फिर लड़ाई लड़ेंगे। समाज की संस्कृति, सभ्यता की पहचान बनाए रखने के लिए हम सबको एकजुट होकर आदिवासी, मूलवासी को अपनी जमीन के साथ-साथ अपनी अस्मिता को भी बचाना जरूरी है।

एसपीटी एक्ट के प्रावधानों को कड़ाई से पालन कराना होगा 
महासम्मेलन में बोरियो के पूर्व विधायक लोबिन हेंब्रम ने  महासम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि आज हमारी जमीन मनमाने भाव में खरीद कर हमारी संस्कृति को उजाड़ा जा रहा है।  जब हमारा जमीन नहीं बचेगा, हमारी संस्कृति और सभ्यता भी नहीं बचेगी, तो हमारा अस्तित्व खत्म हो जाएगा। ऐसी स्थिति में हमें समाज को संगठित कर एक सामाजिक लड़ाई लड़ने की जरूरत है। एसपीटी एक्ट के प्रावधानों को कड़ाई से पालन कराना होगा तभी हमारा जल, जंगल और जमीन बचेगा। 
जामा की पूर्व विधायक सीता सोरेन ने भी हेमंत सोरेन सरकार पर गंभीर आरोप लगाए। उन्होंने कहा कि हेमंत सरकार बांग्लादेशी घुसपैठियों को संरक्षण देकर अपना वोट बैंक मजबूत कर रही है। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि वर्तमान सरकार के कार्यकाल में सिर्फ दलालों का विकास हुआ है, जबकि आदिवासी और मूलवासी हाशिये पर हैं।
इस महासम्मेलन का संचालन निर्मल टुडू ने किया जबकि इसे दुर्गा मरांडी, बाबूधन मुर्मू, प्रोफेसर निर्मल मुर्मू, श्याम दे हेंब्रम, विकास गौड़ एवं गमलियम हेंब्रम ने भी संबोधित किया।


 

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