रांची:
झारखंड विधानसभा का बजट सत्र जारी है। पांचवे दिन वित्त मंत्री द्वारा गुरुवार को पेश किए गए बजट पर चर्चा की शुरुआत हुई। बोरियो विधानसभा से झारखंड मुक्ति मोर्चा के विधायक लोबिन हेंब्रम ने चर्चा की शुरुआत की। लोबिन हेंब्रम इस दौरान अपनी ही सरकार पर हमलावर नजर आए। उन्होंने कहा कि जो वादा किया है उसे निभाना पड़ेगा।
बीजेपी की लूट का सिलसिला अभी भी जारी
लोबिन हेंब्रम ने कहा कि राज्य में बीजेपी के कार्यकाल में शुरू हुई लूट का सिलसिला अभी भी जारी है। उन्होंने कहा कि हेमंत राज में भी जमीन की लूट जारी है, जो दुर्भाग्यपूर्ण है। विधायक लोबिन हेंब्रम ने कहा कि पुरानी स्थानीय और नियोजन नीति रद्द होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि सरकार जितनी जल्दी हो सके, स्थानीय नीति को नए रूप में लेकर आए। उन्होंने कहा कि सीएम केवल स्थानीय नीति लाने की बात करते हैं, लेकिन अब केवल घोषणा से काम नहीं चलेगा।
स्थानीय नीति की बात करने से नहीं चलेगा
लोबिन हेंब्रम ने कहा कि स्थानीय नीति की बात केवल कहने से नहीं होगा। इसे धरातल पर उतारना होगा। लोबिन हेंब्रम ने कहा कि थर्ड और फोर्थ ग्रेड की नौकरियों में आधिवासियों और मूलवासियों को प्राथमिकता देनी होगी। यदि ऐसा नहीं किया गया तो तीर चलेगा। विधायक ने कहा कि राज्य के बच्चों को शिक्षा की अच्छी सुविधा नहीं मिल रही। हमारे लोग पंजाब और केरल में जाकर खटते हैं। राज्य में रोजगार नहीं है। सरकार ने वादा किया था कि रोजगार देंगे। 2 साल से इस दिशा में सकारात्मक पहल नहीं की गई। जनता के साथ वादा-खिलाफी नहीं करनी चाहिये।
पूरे राज्य में माफिया का राज हावी है
बोरियो विधायक लोबिन हेंब्रम ने कहा कि पूरे राज्य में माफिया हावी है। जमीन लूट धड़ल्ले से जारी है। सीएनटी-एसपीटी एक्ट के साथ छेड़छाड़ किया जा रहा है। दोनों एक्ट का सही से अनुपालन सुनिश्चित करना चाहिए। रघुवर सरकार की स्थानीय नीति को रद्द करके नई नीति जल्दी लाई जाये। बाहरियों को नौकरी मिलेगी तो इसे बर्दाश्त नहीं किया जायेगा।
अधिकारी जमीन लुटवा रहे हैं: लोबिन
विधायक लोबिन हेंब्रम ने कहा कि मुख्यमंत्री कहते हैं स्थानीय नीति बनाएंगे। तिथि क्यों नहीं तय करते। भाषा और स्थानीय नीति के नाम पर राज्य में संघर्ष हो रहा है। कहा कि जो वादा किया है उसे निभाना पड़ेगा। मुख्यमंत्री ने बहुत सारी घोषणाएं की लेकिन इसे लागू नहीं किया गया। राज्य में विस्थापन आयोग का गठन होना चाहिए। राज्य में पत्थर और बालू की लूट मची है। विधायिका पर कार्यपालिका हावी हो गई है। अधिकारी जमीन लुटवा रहे हैं।