द फॉलोअप डेस्क, रांची
गांडेय विधानसभा सीट खाली होने के बाद झारखंड में सियासी सरगर्मी बढ़ गई है। पक्ष-विपक्ष एक-दूसरे पर निशाना साध रहा है। झारखंड मुक्ति मोर्चा के केंद्रीय महासचिव सुप्रियो भट्टाचार्य ने कहा कि जब से प्रदेश में महागठबंधन की सरकार बनी कोरोना आ गय। इससे राज्य प्रभावित हुआ लेकिन इससे भी निकलने में राज्य सरकार सफल रही। 2 वर्षो से लगातार सरकार सीधे जनता से जुड़ी रही जो मुख्य विरोधी दल को रास नहीं आयी। उन्होंने कहा कि बीजेपी ने सरकार गिराने वाली प्रक्रिया कर्नाटक से शुरू की और झारखंड में भी प्रयोग किया, लेकिन इसमें भी सफल नहीं हुई तब जाकर एक नई कहानी लिखी गई और उसपर कार्रवाई शुरू कर दी गई।
बीजेपी को विश्वास निर्वाचन आयोग उनका है
सुप्रियो ने आरोप लगाते हुए कहा कि बीजेपी को विश्वास बस इस बात कि है कि निर्वाचन आयोग उनका है। बीजेपी ने 2019 के चुनाव के चरण और तारीख तक बता दी थी। जिस महाराष्ट्र को लेकर बीजेपी के सांसद बात कर रहे हैं उन्हें उसकी पूरी जानकारी नहीं हैं। पुणे में चुनाव इसलिए रोक दिया गया क्योंकि बीजेपी वहां के उपचुनाव में हार रही थी। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि लोकतंत्र को चलाने के लिए सदन में सदस्यों का होना जरूरी हैं। मई का महीना आ रहा हैं लोग तैयार हैं जवाब देने के लिए। राजनीति में व्यक्तिगत लड़ाई नहीं होनी चाहिए जो बीजेपी इस राज्य में करती आ रही है।
निर्वाचन आयोग जाने से भ्रम की स्थिति पैदा न हो
सुप्रियो ने कहा की राज्यपाल पर निर्भर होता है कि कोई व्यक्ति को बुलाए और शपथ ग्रहण करें उसके बाद 6 महीने के अंदर विधानसभा से चुनकर आना होगा। भ्रम की स्थिति न पैदा हो इसलिए हम सभी ने निर्वाचन आयोग से मुलाकात की गई। एक राजनीतिक दल के हिसाब गैर बीजेपी शासित राज्यों को परेशान किया जा रहा है। जनता के बीच भ्रम की स्थिति पैदा करने की कोशिश की गई, लेकिन यह भी मंसूबा सफल नहीं हुआ। बीजेपी नहीं चाहती है कि राज्य के आदिवासी, दलित अल्पसंख्यक का बच्चा विदेश में जाकर पढ़ाई करे। जब हर तरफ सरकार आगे बढ़ने की कोशिश की तब यह लोग घबरा गए।
संदेह के घेरे में है ईडी की कार्रवाई
सुप्रियो भट्टाचार्य ने कहा कि बीजेपी जांच एजेंसियों को लगाकर परेशान कर रही है। जिस राज्य में बीजेपी की सरकार नहीं हैं उन्हें परेशान नहीं किया जा रहा है। इसमें बंगाल, पश्चिम बंगाल के अलावा राज्य को स्थिर करने की कोशिश की जा रही है। उन्होंने कहा कि ईडी का छापा भी संदेह के घेरे में है क्योंकि एजेंसी ने 6 राज्यों में कार्रवाई की। 36 जगहों पर ईडी ने बीते दिनों छापा मारा लेकिन प्रेस विज्ञप्ति में में करीब 36 लाख की रिकवरी दिखाई गई है लेकिन, कहां से कितनी कितनी रिकवरी हुई इसकी जानकारी नहीं दी जा रही है। इससे साफ जाहिर होता हैं कि कार्रवाई किसके इशारे पर चल रही है।