द फॉलोअप डेस्क, रांची:
बीजेपी झारखंड के प्रदेश प्रवक्ता प्रतुल शाहदेव ने झारखंड मुक्ति मोर्चा की प्रेस वार्ता पर पलटवार करते हुए कहा कि अब यह राजनीतिक मृत्यु शैय्या पर पड़े हैं और दिन में ही बड़े-बड़े सपने देख रहे हैं। प्रतुल ने कहा इस सरकार के बारे में प्रचलित कहावत है कि कोई ऐसा सगा नहीं, जिसे हेमंत सरकार ने ठगा नहीं। बेरोजगार, किसान,महिला, युवा, मध्यम वर्ग - सब इस सरकार के गलत निर्णयों और भ्रष्टाचार का शिकार हुए है। यह सरकार अब दोबारा सत्ता में कभी नहीं आने वाली है। वैसे भी एनडीए को पिछले लोकसभा चुनाव में 52 विधानसभा सीटों पर बढ़त मिली थी। वहीं सत्ताधारी गठबंधन 27 सीटों पर सिमट गया था।
गठबंधन में बाबूलाल मरांडी का खौफ है!
प्रतुल ने कहा कि इस सरकार को बाबूलाल मरांडी जी का खौफ हमेशा सर चढ़ कर बोलता है। इन लोगों को सोते जागते बाबूलाल जी ही याद आते हैं क्योंकि इनको पता है बाबूलाल मरांडी अध्यक्षता में एनडीए गठबंधन विधानसभा चुनावों में बड़ी जीत की ओर अग्रसर है। उन्होंने कहा जो लोग आज बाबूलाल मरांडी को कभी मुख्यमंत्री बनने का ख्वाब नहीं देखने की बात कह रहे हैं, वह अगले चुनाव के बाद बेरोजगार हो जाएंगे और चौक चौराहे पर मूंगफली फांकते हुए दिखेंगे। प्रतुल ने कहा कि झारखंड मुक्ति मोर्चा गलतबयानी पर उतर आई है।
हेमंत सोरेन के बेल पर भ्रम फैला रहा झामुमो!
बीजेपी प्रवक्ता ने कहा कि पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट और सर्वोच्च न्यायालय का स्पष्ट निर्णय है कि बेल के समय की गई टिप्पणियां किसी केस के मेरिट का आधार नहीं हो सकता। झारखंड मुक्ति मोर्चा यह कैसे भूल रही है कि इसी हाईकोर्ट की डबल बेंच जिसकी अध्यक्षता चीफ जस्टिस कर रहे थे, उसने 3 मई को केस संख्या WPCr 68 /2024 में टिप्पणी करते हुए कहा था कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के खिलाफ जमीन लूट के प्रथम दृष्टया प्रमाण मिलते हैं। हाईकोर्ट की डबल बेंच ने ईडी की प्रारंभिक कार्रवाई को सही ठहराया था। कहा था कि हेमंत सोरेन ने अपने दिल्ली आवास से 36 लाख रुपए की रिकंवरी को लेकर जो तर्क दिया वह असमर्थनीय है। प्रतुल ने कहा कि अब झामुमो और कांग्रेस के नेता जोश में होश खो बैठे हैं और कह रहे हैं कि जैसा हाईकोर्ट का निर्णय आया वैसे ही सुप्रीम कोर्ट में भी निर्णय आएगा। अब क्या ये सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश की भूमिका में भी आ गए हैं?
मंत्री हफीजुल का बयान असंवैधानिक है!
प्रतुल ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी अभी भी मानती है कि मंत्री हफीजुल हसन का जो शपथ ग्रहण था, वह बिल्कुल असंवैधानिक था और यह मामला अभी राज्यपाल के पास लंबित है लेकिन, गठबंधन उनका फैसला आने से पहले क्लीन चिट दे रहा है। यह साफ दिख रहा है कि यह सरकार बहुत हड़बड़ी में है और हड़बड़ी में गड़बड़ियां करती जा रही है।