द फॉलोअप डेस्कः
झारखंड बीजेपी के विधायकों ने विधानसभा स्पीकर रवींद्रनाथ महतो को पद से हटाने की मांग की है। इसके लिए विधानसभा के प्रभारी सचिव को बीजेपी विधायकों ने पत्र लिखा है। विधायकों ने प्रभारी सचिव से झारखंड विधानसभा की प्रक्रिया व कार्य संचालन के नियम 158 (1) के तहत उन पर कार्रवाई की मांग की है। पत्र में लिखा है कि झारखंड विधान सभा के वर्तमान अध्यक्ष ने अपने पद का विवेकपूर्ण उपयोग नहीं करते हुए भाजपा के 18 विधायकों को हेमंत सरकार के इशारे पर निलंबित किया। झारखण्ड विधान सभा के फुटेज से स्पष्ट है कि नेता प्रतिपक्ष अमर कुमार बाउरी ने 31 जुलाई को सदन शुरू होते ही युवाओं एवं संविदाकर्मियों के विषय पर चर्चा करवाने एवं मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से जवाब दिलवाने का आग्रह किया था और यह बता भी दिया था कि यदि रात को भी रुकना पड़े तो भी हम तैयार हैं, लेकिन बिना मुख्यमंत्री का जवाब सुने हमलोग नहीं जाएँगे ।
स्पीकर ने अपने पद का निष्पक्ष रूप से उपयोग नहीं किया और मुख्यमंत्री के हित की रक्षा करते हुए सरकार के इशारे पर झामुमो के एक विधायक सुदिव्य कुमार के द्वारा लाये गए निलंबन प्रस्ताव पर भाजपा विधायकों को निलंबित किया है, जबकि अमूमन इस प्रकार का प्रस्ताव संसदीय कार्य मंत्री सदन में लाते हैं, तथा उसके पूर्व में कार्य मंत्रणा समिति की बैठक होती है, जो नहीं हुआ। स्पीकर ने अपने पद का सही रूप से निर्वहन नहीं करते हुए करीब 05 वर्ष अध्यक्ष की भूमिका में कम और झामुमो के कार्यकर्ता के रूप में ज्यादा कार्य किया, इसका प्रमाण है विधानसभा अध्यक्ष रहते 2024 के संपन्न लोकसभा चुनाव में दुमका लोकसभा क्षेत्र में झामुमो का झंडा लगाकर झामुमो प्रत्याशी नलिन सोरेन के पक्ष में चुनाव प्रचार किया।
झारखंड हाईकोर्ट की बांग्लादेशी घुसपैठियों को चिन्हित कर वापस भेजने के लिए कार्य योजना शीघ्र बनाने का निर्देश हेमंत सरकार को दिया था, दुर्भाग्य से विधानसभा अध्यक्ष ने हाईकोर्ट को भी नहीं बख्शा तथा हाईकोर्ट की भी आलोचना करते हुए सार्वजनिक रूप से कहा कि झारखंड में बांग्लादेशी घुसपैठियों का कोई मामला ही नहीं है। स्पीकर ने अपने पद पर रहते हुए लगभग 04 वर्ष तक भाजपा विधायक दल के नेता बाबूलाल मरांडी सहित कई भाजपा विधायकों को पूर्वाग्रह से ग्रसित रहकर सदन के अंदर बोलने तक नहीं दिया तथा कई विधयाकों की पूरे सत्र के दरम्यान एक बार भी ध्यानाकर्षण की सूचना ग्रहण नहीं किया है।
स्पीकर ने अपने पद पर रहते हुए लगातार केन्द्र सरकार की आलोचना की, यहाँ तक कि भाजपा के गोड्डा के सांसद के व्यक्तिगत बयान की भी सदन में चर्चा कर झामुमो एवं कांग्रेस के विधायकों को भी उकसाने का काम किया। स्पीकर ने अपने पद पर रहते हुए भाजपा विधायकों पर झूठा आरोप लगाया कि भाजपा विधायकों ने महिला एवं पुरुष मार्शलों के साथ दुर्व्यवहार किया है, इससे दुःखी होकर हम सभी भाजपा विधायक सक्षम न्यायालय में विधान सभा अध्यक्ष के विरुद्ध मानहानि का मुकदमा दायर करेंगे ।
स्पीकर ने अपने पद पर रहते हुए नेता प्रतिपक्ष अमर कुमार बाउरी एवं अन्य विधायकों द्वारा युवाओं को 05 लाख नौकरी, तथा स्नातकों को 5000 रुपये तथा स्नातकोतरों को 7000 रुपये का बेरोजगारी भत्ता, पारा शिक्षक, सहायक पुलिस, होम गार्ड, आंगनबाड़ी सेविका, सहायिका एवं रसोईया, पारा मेडिकल कर्मी, मनरेगा कर्मी, पंचायत कर्मी सहित कार्यरत सभी अनुबंध कर्मियों को 2019 के विधान सभा चुनाव में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन जी के द्वारा परमानेंट करने का एवं उनकी समस्त मांगों को पूरी करने का झूठा वादा किया गया था, उन्हीं वादों को याद करते हुए भाजपा के विधायक मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से सदन में जवाब चाह रहे थे, बजाय जवाब दिलवाने के विधान सभा अध्यक्ष ने नेता प्रतिपक्ष के साथ रुखा, कड़ा एवं दुर्वयवहार किया, जो विधान सभा के CCTV फुटेज में देखा जा सकता है।
इन सभी तथ्यों से स्पष्ट है कि झारखण्ड विधान सभा के वर्तमान अध्यक्ष रवींद्रनाथ महतो अपने पद का संवैधानिक दायित्व निर्वहन में असफल रहे हैं तथा झारखंड विधान सभा की प्रक्रिया तथा कार्यसंचालन एवं निष्पादन स्म्यक रूप से नहीं कर सकते। अतः झारखंड विधानसभा के वर्तमान अध्यक्ष को उनके पद से हटाया जाए।