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Ranchi : धनबाद और बोकारो से हटाई गई भोजपुरी औऱ मगही, क्या थमेगा विवाद! 

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रांची: 

भोजपुरी और मगही भाषा को धनबाद औऱ बोकारो के स्थामीय भाषा की सूची से हटा दिया गया है। कार्मिक, प्रशासनिक सुधार एवं राजभाषा विभाग ने इसकी अधिसूचना जारी की। गौरतलब है कि बीते काफी दिनों से धनबाद और बोकारो में भोजपुरी औऱ मगही भाषा को शामिल किए जाने का विऱोध किया जा रहा था।

खुद शिक्षा मंत्री जगरन्नाथ महतो इससके विरोध में थे। उनका कहना था कि वे इसे कैबिनेट से पास नहीं होने देंगे। बकायदा मुख्यमंत्री से मुलाकात की थी। 

भोजपुरी-मगही को शामिल करने का विरोध
अलग-अलग संगठन पूरे राज्य में भोजपुरी और मगही को शामिल किए जाने का विरोध कर रहे थे। मुख्य रूप से झारखंड भाषा बचाओ संघर्ष समिति ने बोकारो और धनबाद में व्यापक पैमाने पर आंदोलन किया था। राजधानी रांची में भी इसका विऱोध किया जा रहा था। \

वहीं दूसरे पक्ष की तरफ से भोजपुरी और मगही के विरोध के विरोध में अखिल भारतीय भोजपुरी, अंगिका, मगही औऱ मैथिली संघ सड़क पर उतर आया था। संघ के अध्यक्ष कैलाश यादव का कहना था कि विरोध गैरजरूरी है। 

भोजपुरी-मगही हटाकर उर्दू को जोड़ा गया
महागामा से कांग्रेस पार्टी की विधायक दीपिका पांडेय सिंह ने हाल ही में कहा था कि भाषा संवाद का जरिया हो सकता है। विभाजन का आधार नहीं हो सकता। भाषा को विवाद का विषय नहीं बनाया जाना चाहिये। उनका कहना था कि भाषा के आधार पर राज्य में उन्माद अच्छी बात नहीं है।

इधर भारतीय जनता पार्टी और आजसू भी आंदोलनकारियों का समर्थन कर रही थी। गौरतलब है कि धनबाद और बोकारो में मगही और भोजपुरी को हटाकर बतौर स्थानीय भाषा उर्दू जोड़ी कई है।