द फॉलोअप डेस्कः
अगर आपने रांची नगर निगम से साल 2013,14, 15 16 के बीच जन्म व मृत्यु प्रमाण पत्र बनवाया है, तो अब उसका कोई महत्व नहीं रह गया। क्योंकि नगर निगम के पास इन सालों में बने प्रमाण पत्र का रिकॉर्ड है ही नहीं। अगर आप इन प्रमाण पत्रों से जुड़े किसी भी काम के लिए निगम जाते हैं, तो वहां आपको यह जवाब मिलेगा कि उनके पास इस तीन साल डाटा नहीं है। इसलिए इसे ना तो हम सत्यापित कर सकते हैं। और न ही डुप्लीकेट दे सकते हैं। ऐसे लोगों को फिर से प्रमाण पत्र बनवाने की सलाह दी जा रही है।
जैप आइटी नहीं दे रहा डाटा
प्रभात खबर अखबार में खबर छपी है कि 2013 में रांची नगर निगम में जन्म व मृत्यु प्रमाण पत्र बनाने का काम प्रज्ञा केंद्र से शुरू हुआ था। तब प्रज्ञा केंद्रों का संचालन जैप आइटी करता था। 2016 तक ऐसा ही चला फिर 2017 से यह काम केंद्र सरकार के सीआरएस पोर्टल में शुरू किया गया। उस वक्त निगम ने जैप आइटी से इन तीन वर्षों का डाटा लिया ही नहीं। नगर निगम ने चार बार जैप आइटी से वह डाटा मांगा है। लेकिन, जैप आइटी ने न तो निगम को डाटा दिया और न ही निगम के पत्रों का कोई जवाब दिया। एक अनुमान के मुताबिक रांची नगर निगम में जन्म व मृत्यु प्रमाण पत्र के एक साल में आवेदनों की संख्या 36500 के आसपास होती है। ऐसे में तीन सालों में यह संख्या 1.09 लाख के आसपास होगी। यानी लगभग 1.09 लाख लोगों का जन्म व मृत्यु प्रमाण पत्र का रिकॉर्ड निगम के पास नहीं है।
क्या कहते हैं पदाधिकारी
सहायक लोक स्वास्थ्य पदाधिकारी आनंद शेखर झा ने कहा है कि उस समय प्रज्ञा केंद्र से यह दोनों प्रमाण पत्र बनाए जाते थे। उस समय बनाए गए प्रमाण पत्रों के सत्यापन और सुधार के लिए आज भी लोग नगर निगम के पास आ रहे हैं लेकिन नगर निगम ना तो सत्यापित कर पा रहा है और ना ही डुप्लीकेट कॉपी दे पा रहा है। क्योंकि, हमारे पास इसका रिकॉर्ड है ही नहीं। इसलिए हम बहुत जल्द आम सूचना जारी करेंगे कि अगर किसी का प्रमाण पत्र इस दौरान बना है तो वे इसके वेरिफिकेशन निगम से करवा लें। उन्होंने प्रभात खबर से बात करते हुए कहा है कि हम कोशिश कर रहे हैं कि लोगों को भविष्य में किसी प्रकार की परेशानी ना हो।
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