रांची । वित्त मंत्री राधाकृष्ण किशोर ने कहा है कि मुख्यमंत्री मंईयां सम्मान योजना की राशि होली के पहले लाभुकों के खाते में चली जाएगी। उन्होंने दावा किया कि राज्य सरकार के पास पैसे की कोई कमी नहीं है। डिलिवरी सिस्टम और फर्जी खातों के कारण कुछ तकनीकी दिक्कतें आयी है। अब इसमें किसी प्रकार की देरी नहीं होगी। वह विधानसभा में झारखंड सरकार के वित्तीय वर्ष 2025-26 का एक लाख 45 हजार 400 करोड़ रुपए का बजट पेश करने के बाद मीडिया से बातचीत कर रहे थे। उनसे पूछा गया था कि जब राज्य सरकार का वित्तीय प्रबंधन दुरुस्त है, सोशल सेक्टर पर सरकार का फोकस है तो मंईयां सम्मान योजना की राशि के भुगतान में विलंब क्यों। इसीलिए मंईयां सम्मान योजना के लिए बजट में 13363 करोड़ 35 लाख की राशि का उपबंध किया गया है।
अगले वित्तीय वर्ष के बाद गैस सिलेंडर पर सब्सिडी
झामुमो-कांग्रेस की चुनावी घोषणा के बाद भी एलपीजी सिलेंडर पर सब्सिडी की घोषणा नहीं किए जाने के सवाल पर राधाकृष्ण किशोर ने कहा कि राज्य सरकार का कार्यकाल पांच साल का है। अगले वित्तीय वर्ष के बाद इंडिया गठबंधन अपने चुनावी वादे को अवश्य पूरा करेगी। अबुआ आवास योजना पर भी तेजी आएगी। इसकी संख्या में बढोत्तरी की जाएगी।
इंफ्रास्ट्रक्चर पर बहुत खर्च हुए हैं
यह पूछने पर कि बजट में इंफ्रास्ट्रक्चर पर सरकार ने क्यों नहीं फोकस किया, वित्त मंत्री ने कहा कि पिछले 24 साल में इंफ्रास्ट्रक्चर पर बहुत ध्यान दिया गया है। इस बार सरकार का फोकस सोशल सेक्टर है।
कहां से आएगा पैसा
राज्य सरकार के अपने कर से 35200 करोड़, गैर कर राजस्व से 25856.12 करोड़, केंद्रीय सहायतात से 17057.10 करोड़, केंद्रीय करों में राज्य की हिस्सेदारी से 47040.22 करोड़, लोक ऋण से 20000 करोड़ एवं उधार तथा अग्रिम की वसूली से 246.56 करोड़ रुपए आएगा।
सोशल सेक्टर पर सरकार का फोकस
वित्त मंत्री ने कहा कि बजट में राज्य सरकार ने सोशल सेक्टर पर विशेष फोकस किया है। इस सेक्टर पर सबसे अधिक 62840 करोड़ की राशि का उपलब्ध किया गया है। सामान्य प्रक्षेत्र के लिए 37884 करोड़ एवं आर्थिक प्रक्षेत्र के लिए 44675 करोड़ रुपए का उपबंध किया गया है।
वित्तीय वर्ष 2025-26 के बजट के कुछ प्रमुख हाईलाइट्स
-वित्तीय वर्ष 2019-20 में राज्य का आर्थिक विकास दर 1.1 प्रतिशत था, कोरोना काल 2022-23 में 7.8 फीसदी, 2023-24 में 7.5 फीसदी रहा और 2025-26 में भी 7.5 फीसदी रहने का अनुमान है।--प्लान एवं नन प्लान के अनुपात में वृद्धि की गयी है। वित्तीय वर्ष 2019-20 में 47 और 53 का अनुपात था यह अब 37 और 63 का अनुपात हो गया है।
-फिसकल डेफिसिट 2.02 फीसदी (11253 करोड़) के दायरे में रहने का अनुमान, जो केंद्र और नीति आयोग के अधिकतम तीन फीसदी की सीमा से लगभग एक फीसदी कम है।