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गांव के चौपाल से विदेशी धरती तक महाधिवेशन के जरिये झारखंड के मुद्दों को ले जाएगी आजसू पार्टी

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द फॉलोअप टीम, रांचीः 
आजसू पार्टी का 3 दिवसीय राज्य अधिवेशन 29 सितंबर यानि आज से शुरू होकर 1 अक्टूबर तक चलेगा। झारखंड के इतिहास, भूगोल, अर्थव्यवस्था और समाजशास्त्र जैसे बिंदुओं को समाहित करते हुए इस अधिवेशन में प्रदेश के भविष्य का खाका खींचने का प्रयास किया जाएगा। यह महाधिवेशन कई मायनों में खास और ऐतिहासिक होने वाला है। झारखंड के राजनीतिक इतिहास में संभवत: यह पहला मौका होगा जब किसी पॉलिटिकल पार्टी के महाधिवेशन में केवल राजनीतिक बयानबाजी नहीं होगी बल्कि प्रदेश के स्थानीय मुद्दों पर बातचीत होगी। इस महाधिवेशन में मेहमानों को ओपन मंच प्रदान किया जाएगा जिसमें वह लोग विकसित और समृद्ध झारखंड का सपना कैसे पूरा हो, इस बारे में अपने विचार साझा करेंगे।


विरोधी दल को भेजा गया है आमंत्रण 
आजसू पार्टी का यह महाधिवेशन इस लिहाज से भी खास है कि इसमें झारखंड की खांटी जमीन से लेकर विदेशी धरती तक के मेहमान अपने विचार प्रदेश की आवाम के सामने रखेंगे। दिलचस्प है कि एक पॉलिटिकल पार्टी द्वारा आयोजित किए जा रहे इस महाधिवेशन में केवल राजनेता नहीं बल्कि समाजसेवी, शिक्षाविद, पत्रकार, लेखक और अन्य बुद्धिजीवी झारखंड के जल–जंगल–जमीन और आदिवासियत को बरकरार रखते हुए समावेशी और सतत पोषणीय विकास का खाका खींचने में अपने सुझावों और विचारों से योगदान देंगे। आजसू पार्टी का महाधिवेशन इसलिए भी ऐतिहासिक होने जा रहा है क्योंकि इसमें विरोधी दलों को भी आमंत्रण भेजा जा रहा है। पार्टी की ओर से इस महाधिवेशन में भारतीय जनता पार्टी, झारखंड मुक्ति मोर्चा, कांग्रेस और आरजेडी सहित अन्य दलों को भी बुलावा भेजा जा रहा है। इस मंच पर इन दलों के नेता खुलकर अपने विचार रख सकते हैं। यहां तक कि वे आजसू पार्टी की नीतियों की भी खुलकर आलोचना कर सकते हैं बशर्ते वह केवल राजनीतिक हमला या द्वेषपूर्ण निंदा तक ही सीमित न हो। 


हर मुद्दे पर होगी बाद 
आजसू पार्टी के इस महाधिवेशन में चर्चा के लिए जिन विषयों को चुना गया है, उससे पार्टी सुप्रीमो सुदेश महतो और उनकी टीम का झारखंड को गढ़ने का विजन दिखता है। इस महाधिवेशन में झारखंड आंदोलन के औचित्य पर चर्चा होगी। जाहिर है कि जब तक यह न समझा जाए कि हमने झारखंड क्यों और किस कीमत पर हासिल किया है, हम सही दिशा में आगे नहीं बढ़ सकते। इस महाधिवेशन में झारखंडी युवा, उनकी चुनौतियां, स्थानीयता और नियोजन नीति पर भी बात होगी। यह सभी ज्वलंत और जरूरी मुद्दे हैं। झारखंड में सामाजिक न्याय पर भी अधिवेशन में बात होगी। चिंतन होगा कि जिस आदिवसियत के मुद्दे पर यह राज्य गढ़ा गया क्या वह सपना पूरा हो पाया है। क्या अधिकार और समानता के आधार पर न्याय हो पाया है। झारखंड की भाषा और संस्कृति पर भी बातचीत होगी ताकि झारखंड की मौलिकता बची रहे। प्रदेश में भूमि, कृषि, सिंचाई, खनन, उद्योग और पर्यावरण पर भी विचार रखे जायेंगे। दरअसल, यही झारखंड की आत्मा है। झारखंड की तमाम पॉलिटिकल रैली, सरकारी योजना और भाषणों में यही जल, जंगल और जमीन का मुद्दा तो तैरता रहता है। महाधिवेशन में बात झारखंड में शिक्षा और स्वास्थ्य की दशा पर भी होगी। स्वशासन और महिला सशक्तिकरण इस महाधिवेशन के मुख्य बिंदुओं में से एक है। 

समग्रता में देखा जाए तो इस महाधिवेशन में बात केवल राजनीति या सत्ता पाने के तरीकों पर नहीं होगी बल्कि झारखंड को गढ़ने का खाका भी खींचा जायेगा। झारखंड की प्रगति कैसे और किन मूल्यों पर होगी, इस बारे में एक ईमानदार चर्चा होगी। महाधिवेशन ने झारखंड के इतिहास, भूगोल, अर्थव्यवस्था और समाजशास्त्र को खंगाला जायेगा। जो निचोड़ निकलेगा वही प्रगति का रास्ता होगा।

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