रांची
रांची विश्वविद्यालय के आर्यभट सभागार में राष्ट्र सेविका समिति द्वारा लोकमाता देवी अहिल्याबाई होलकर के त्रिशताब्दी जयंती महोत्सव का आयोजन भव्य रूप से संपन्न हुआ। इस ऐतिहासिक अवसर पर विभिन्न गणमान्य व्यक्तियों की उपस्थिति रही। मुख्य अतिथि महामहिम राज्यपाल संतोष गंगवार ने अपनी गरिमामयी उपस्थिति से इस आयोजन को विशेष बनाया। कार्यक्रम का शुभारंभ पारंपरिक दीप प्रज्वलन के साथ हुआ, जिसके पश्चात राष्ट्र सेविका समिति के सदस्यों ने वंदे मातरम् गीत का सामूहिक गायन किया। मुख्य वक्ताओं ने लोकमाता अहिल्याबाई होलकर के जीवन दर्शन और उनके योगदान पर अपने विचार प्रस्तुत किए।
लोकमाता देवी अहिल्याबाई होलकर का योगदान
राज्यपाल महोदय ने लोकमाता देवी अहिल्याबाई होलकर के जीवन परिचय को विस्तार से बताए हुए कहा मैं इस कार्यक्रम में सम्मिलित होकर खुद को धन्य समझता हूँ, उनका पूरा जीवन प्रेरणादायी है। इस समारोह के आयोजन हेतु राष्ट्र सेविका समिति एवं इतिहास विभाग, रांची यूनिवर्सिटी बधाई के पात्र हैं। लोकमाता देवी अहिल्याबाई होलकर केवल कुशल प्रशासक ही नहीं थी अपितु उन्होंने समाज में सेवा, न्याय, एवं धर्मपरायणता का अनुपम उदाहरण प्रस्तुत किया। उनकी शासन व्यवस्था प्रजा को न केवल सुरक्षा प्रदान करती थी बल्कि, शिक्षा, कला, संस्कृति और धर्म के संरक्षण के लिए प्रेरणादायक थी।
कार्यक्रम की मुख्य वक्ता मा. वी. शांताकुमारी जी ने लोकमाता अहिल्याबाई होलकर के जीवन के प्रेरणादायक पहलुओं को साझा किया। अध्यक्ष डॉ. अजीत सिन्हा जी ने लोकमाता अहिल्याबाई होलकर के जीवन पर विस्तृत चर्चा की और इतिहास विभाग को निर्देश दिया कि इस विषय पर शोध कार्य किया जाए। इसके अतिरिक्त, विभिन्न शोधार्थियों ने इस अवसर पर अपने शोधपत्र प्रस्तुत किए, जिनमें अहिल्याबाई की शासन नीतियों, सामाजिक सुधारों, कला और संस्कृति में उनके योगदान पर विस्तार से प्रकाश डाला गया। शोधार्थियों और इतिहासकारों ने इस बात पर भी बल दिया कि आधुनिक भारत में सुशासन और प्रशासन के संदर्भ में उनके जीवन से महत्वपूर्ण शिक्षा ली जा सकती है।
समारोह का समापन
कार्यक्रम के अंत में राष्ट्र सेविका समिति की ओर से अतिथियों को सम्मानित किया गया और स्मृति चिह्न प्रदान किए गए। वन्देमातरम गीत के साथ इस भव्य समारोह का समापन हुआ। इस अवसर पर उपस्थित सभी गणमान्य व्यक्तियों ने लोकमाता अहिल्याबाई होलकर के जीवन से प्रेरणा लेने और उनके आदर्शों को अपने जीवन में अपनाने का संकल्प लिया। इस अवसर पर बड़ी संख्या में विद्वान, छात्र-छात्राएँ एवं समाज के विभिन्न वर्गों से आए लोग उपस्थित रहे।