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62 साल, 38,000 हादसे और सैकड़ों लोगों की मौत; ट्रेन एक्सीडेंट को लेकर ये आंकड़ा डरा देगा

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द फॉलोअप डेस्कः
आज सुबह पश्चिम बंगाल के न्यू जलपाईगुड़ी के रंगापानी स्टेशन पर बड़ा रेल हादसा हुआ है। ट्रैक पर खड़ी कंचनजंगा एक्सप्रेस को पीछे से मालगाड़ी ने टक्कर मार दी। इस हादसे में 15 लोगों की मौत हो गई है। वहीं 50 से ज्यादा लोग घायल हैं। ये हादसा 2024 का सबसे बड़ा रेल हादसा है। सरकार का दावा है कि 2004 से 2014 के बीच हर साल औसतन 171 रेल हादसे होते थे। जबकि 2014 से 2023 के बीच सालाना औसतन 71 रेल हादसे हुए।

 
आंकड़े बताते हैं कि भारत में ट्रेन हादसों में बीते कई दशकों में कमी आई है। रेलवे की ईयर बुक के मुताबिक, 1960-61 से 1970-71 के बीच 10 साल में 14,769 ट्रेन हादसे हुए थे। 2004-05 से 2014-15 के बीच 1,844 दुर्घटनाएं हुईं। वहीं, 2015-16 से 2021-22 के बीच छह सालों में 449 ट्रेन हादसे हुए। इस हिसाब से 1960 से लेकर 2022 तक 62 सालों में 38,672 रेल हादसे हुए हैं। यानी, हर साल औसतन 600 से ज्यादा दुर्घटनाएं हुईं। 


रेलवे की ईयर बुक के मुताबिक, सबसे ज्यादा हादसे ट्रेन के पटरी से उतर जाने के कारण होते हैं। 2015-16 से 2021-22 के बीच 449 ट्रेन हादसे हुए थे, जिनमें से 322 की वजह डिरेलमेंट थी। रेलवे की 2021-22 की ईयर बुक के मुताबिक, 2017-18 से 2021-22 के बीच पांच साल में 53 लोगों की मौत हुई है। जबकि, 390 लोग घायल हुए है। 
आंकड़ों से पता चलता है कि 2019-20 और 2020-21 में ट्रेन हादसों में एक भी मौत नहीं हुई। हालांकि, ये वो दौर था जब दुनियाभर में कोविड महामारी फैली हुई थी और कुछ महीनों तक ट्रेनें भी बंद रही थीं।

ईयर बुक के मुताबिक, 2021-22 में कुल 34 ट्रेन हादसे हुए थे। इनमें से 20 हादसों की वजह रेलवे स्टाफ ही था. जबकि चार हादसे इक्विपमेंट फेल होने की वजह से हुए थे। पांच साल में रेलवे ने लगभग 14 करोड़ रुपये का मुआवजा दिया है। 2021-22 में रेलवे ने 85 लाख रुपये से ज्यादा मुआवजा दिया था। रेल हादसों में मौत होने पर 5 लाख, गंभीर रूप से घायल होने पर 2.5 लाख और घायल होने पर 50 हजार रुपये का मुआवजा दिया जाता है.
 

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