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फिर खाट पर झारखंड का हेल्थ सिस्टम, गर्भवती महिला को लेकर 3 किमी पैदल चले परिजन; जच्चा–बच्चा गंभीर

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झारखंड की लचर स्वास्थ्य व्यवस्था एक बार फिर खुल कर सामने आ गया है।  हजारीबाग जिले के पूरनपनिया गांव से एक मामला सामने आया है। इस गांव की निवासी गर्भवती महिला रेणु देवी को बीते सोमवार शाम प्रसव पीड़ा शुरु हुई, लेकिन गांव तक सड़क नहीं होने के कारण रेणु को खाट पर ही फुफंदी गांव तक पहुंचाया गया। 


तीन किलोमिटर तक खाट के सहारे गर्भवती को पहुंचाया गया दुसरे गांव 
हजारीबाग जिले में पहाड़ों के बीच बसा  है पूरनपनिया गांव। यही कारण है कि गांव तक सड़क नहीं है। प्रसव पीड़ा शुरु होने के बाद ग्रामीणों ने तीन किलोमीटर पहाड़ी पर पगडंडी के रास्ते खाट की डोली में रेणु को लेटाकर फुफंदी गांव तक पहुंचाया. जिसके बाद गर्भवती महिला को ममता वाहन की सुविधा नहीं मिलने के कारण उसे निजी वाहन से सीएचसी इचाक लाया गया। जहां से उसे सदर अस्पताल रेफर कर दिया गया। जहां महिला ने बच्चे को जन्म दिया। हालांकि बच्चे की स्थिति गंभीर बनी हुई है।


इन लोगों ने महिला को अस्पताल तक पहुंचाने में निभाई अहम भूमिका 
गर्भवती महिला को खाट से अस्पताल तक पहुंचाने में केशोलाल हांसदा, जागेश्वर सोरेन, बाबूराम हांसदा, श्यामलाल मांझी, पताई देवी, सूरजी देवी, रोहित किस्कू, शंकर हांसदा और नुनी देवी ने अहम भुमिका निभाई। इसके साथ ही भाजपा अनुसूचित जनजाति मोर्चा के जिला महामंत्री रमेश कुमार हेम्ब्रोम ने इस समस्या को लेकर कई बार जिला प्रशासन व वन विभाग को लिखित आवेदन दिया है। ताकि सड़क निर्माण हो पाए।इसके बावजूद आज तक सड़क नहीं बनी। इस कारण वर्षों से गांव की गर्भवती व बीमार लोगों के समक्ष विकट समस्या हो रही है। इस गांव में सड़क निर्माण नहीं होने का मुख्य कारण वन विभाग द्वारा एनओसी नहीं मिलना बताया जा रहा है।