द फॉलोअप डेस्क
आज शेयर बाजार में भारी गिरावट देखने को मिली, जिससे निवेशकों के करीब 19 लाख करोड़ रुपये डूब गए। इस गिरावट का कारण अमेरिका की नई टैरिफ पॉलिसी (नए आयात शुल्क) को बताया जा रहा है। सवाल ये है कि अमेरिका कुछ करता है तो दुनिया क्यों कांप जाती है? इसका जवाब समझने के लिए हमें ग्लोबल इकोनॉमी की कुछ बुनियादी बातें जाननी होंगी।
1. अमेरिका दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है
अमेरिका की GDP (सकल घरेलू उत्पाद) सबसे ज्यादा है। वहां के लोग सबसे ज़्यादा सामान खरीदते हैं, सबसे ज़्यादा टेक्नोलॉजी कंपनियाँ वहीं की हैं (जैसे Apple, Microsoft, Google)। जब अमेरिका में कुछ बड़ा होता है, तो इसका असर हर उस देश पर पड़ता है जो उससे व्यापार करता है या उसकी कंपनियों में निवेश करता है।
2. अमेरिका का डॉलर दुनिया की सबसे ताकतवर करेंसी है
ज्यादातर देशों के बीच होने वाला व्यापार डॉलर में होता है। अगर अमेरिका कोई नीति बदलता है, तो डॉलर की वैल्यू ऊपर-नीचे होती है, और उसके साथ ही बाकी देशों की करेंसी भी हिल जाती है। इससे ट्रेड और निवेश पर असर पड़ता है।
3. नई टैरिफ पॉलिसी का मतलब क्या है?
टैरिफ का मतलब है आयात शुल्क। अगर अमेरिका किसी देश से आने वाले सामान पर ज्यादा टैक्स लगा दे, तो वो सामान महँगा हो जाता है। इससे उस देश की कंपनियाँ घाटे में जाती हैं। उदाहरण के लिए, अगर अमेरिका चीन से आने वाले इलेक्ट्रॉनिक सामान पर टैरिफ बढ़ा दे, तो चीन की कंपनियों को नुकसान होगा — और अगर आपने उन कंपनियों में पैसे लगाए हैं, तो आपका नुकसान होगा।
4. शेयर बाजार में डर बहुत तेज़ी से फैलता है
शेयर बाजार सिर्फ हकीकत पर नहीं, बल्कि भावनाओं और उम्मीदों पर भी चलता है। जैसे ही अमेरिका ने टैरिफ पॉलिसी बदली, निवेशकों को डर लगा कि इससे ग्लोबल ट्रेड धीमा होगा, कंपनियों के मुनाफे घटेंगे, और आर्थिक मंदी आ सकती है। इसी डर में लोगों ने अपने शेयर बेचने शुरू कर दिए, और बाजार धड़ाम हो गया।
5. भारत भी क्यों प्रभावित हुआ?
भारत की कई कंपनियाँ अमेरिका या चीन से व्यापार करती हैं। कई विदेशी निवेशक भारत के शेयर बाजार में पैसे लगाए हुए हैं। जैसे ही अमेरिका में नकारात्मक संकेत आया, इन निवेशकों ने भारत से भी पैसे निकालने शुरू कर दिए, ताकि वो नुकसान से बच सकें। इससे भारतीय बाजार भी गिर गया।