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आविष्कार : उंगलियों को हिलाने-डुलाने की ज़रुरत नहीं, आपके दिमाग में लगी चिप से चलेगा स्मार्ट फोन

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रांची:

ऐसा वैज्ञानिक जिसने भौतिकविदों और ब्रह्माण्डविदों का नजरिया बदलकर रख दिया। आम लोगों की भी ब्लैक होल और अंतरिक्ष विज्ञान में रुचि को बढ़ा दिया। लेकिन न उसके हाथ हिलते थे, न पैर डुलते थे। सर भी हमेशा एक ओर लुढ़का रहता। पिछली सदी के अंतिम सालों में जब दिल्ली में उन्हें देखा और सुना तो चकित रह गया। वह अपनी चर्चित पुस्तक ‘ए ब्रीफ हिस्ट्री ऑफ टाइम’  के हिंदी संस्करण 'समय का संक्षिप्त इतिहास' के लोकार्पण के सिलसिले में दिल्ली आए थे। उन दिनों मैं राजकमल प्रकाशन के संपादकीय विभाग से संबद्ध था। और पुस्तक राजकमल ने ही छापा था। वह एक व्हील चेयर पर बैठे थे। सामने एक स्क्रीन खुली थी। उनके हाथों में कई तार जुड़े हुए थे। एक हाथ की महज़ कुछ ही उंगलियां उनकी हिलती और कंप्यूटर से उनकी बात सभागार में गूंजती। जिक्र मशहूर वैज्ञानिक स्टीफन हॉकिंग (8 जनवरी 1942-14 मार्च 2018) का है, जो विज्ञान और वैज्ञानिकों के लिए एक प्रेरणा रहे हैं। दरअसल उन्हें मोटर न्यूरोन नाम की बीमारी थी। जिसके सबब शरीर के अधिकतर अंगों ने काम करना बंद कर दिया था। चलने-फिरने के साथ बोलने से भी लाचार। लेकिन स्टीफन की व्हील चेयर उनके लिए बोलती भी थी और उनकी बातों को समझती भी थी। वो जो चाहते थे, वो लिखती भी थी।

 

Stephen Hawking dies: दुर्लभ बीमारी के साथ दशकों जिए स्टीफन हॉकिंग, जानें-  उनकी जिंदगी के रोचक पहलू - stephen hawking unknown facts about famed  scientist | Navbharat Times

 

इस प्रसंग का जिक्र इसलिए कर रहा हूं कि दुनिया के वैज्ञानिकों की रिसर्च अगर कामयाब रही तो जल्द ही हम-आपके दिमाग़ में एक चिप हुआ करेगी। दिमाग और चिप मिलकर बिना कोई कंमाड लिए सोचने भर से काम करना शुरू कर देंगे। इसे न्‍यूरालिंक नाम दिया गया है। जिस तरह स्टीफन हॉकिंग के सामने कंप्यूटर स्क्रीन रहती रही आपके पास स्मार्ट फोन की स्क्रीन होगी। पैरालसिस पीड़ित आदमी भी इसकी मदद से उंगलियों से ज्‍यादा तेज गति से स्‍मार्टफोन चला सकेगा। 

 

 

इस दिशा में 2016 से काम शुरू है। सूअर और बंदर पर इस चिप को आजमाया जा चुका है। न्यूरालिंक बंदरों में अच्छी तरह से काम कर रहा है। वॉल स्ट्रीट जर्नल के सीईओ काउंसिल समिट के साथ एक लाइव-स्ट्रीम साक्षात्कार के अनुसार इससे जुड़े बहुत सारे परीक्षण किये जा रहे हैं। बंदरों पर हुए परीक्षण के बाद इसके बहुत ही सुरक्षित और भरोसेमंद कहा जा रहा है। सबसे पहले इसका मानव पर परीक्षण दुनिया के सबसे अमीर इंसान एलन मस्‍क के साथ किया जाएगा। वैज्ञानिक बताते हैं कि न्यूरालिंक डिवाइस को सुरक्षित रूप से हटाया जा सकता है। ये तकनीक टेट्राप्लाजिक, क्वाड्रीप्लेजिक जैसी रीढ़ की हड्डी की परेशानी से जूझ लोगों के लिए वरदान साबित होगी। मस्‍क ने कहा कि हमें उम्‍मीद है क‍ि हमें अगले साल एफडीए से इसके लिए मंजूरी भी मिल जाएगी।