व्यंकटेश पांडेय
पटना का अटल पथ तो जैसे खूनी पथ हो गया है। तेज और बेतहाशा रफ्तार से चलने वाली गाड़ियां किसी को भी कुचलते हुए आगे बढ़ सकती हैं। न प्रशासन का कोई खौफ और न ही सरकार बहादुर का, तिस पर से गाड़ी पर यदि सत्तारूढ़ दल (भाजपा) का झंडा लगा हो तब तो जनता खुद को बचाकर ही चले, और इस बार तो गाड़ी ने पुलिस-प्रशासन के लोगों को ही रौंद डाला।
बात 11-12 जून के दरमियानी रात की है, जब अटल पथ पर चेकिंग कर रहे पुलिस-प्रशासन के लोगों को एक काली स्कॉर्पियो ने जोरदार टक्कर मारी या कहें कि रौंद ही डाला। टक्कर इतनी जोरदार थी कि जहां दो से तीन पुलिसकर्मी घायल हो गए वहीं ड्यूटी पर तैनात एक कॉन्सटेबल ‘सोनम’ चोट से उबर हीं नहीं पाईं, और इलाज के क्रम में चल बसीं।
मुख्यमंत्री के गृह जिले नालंदा के एकंगरसराय थाना क्षेत्र के धनहर गांव की रहने वाली ‘कोमल’ परिवार की एक मात्र ऐसी सदस्य थीं जो सरकारी नौकरी में थीं। पांच बहनों में चौथे नंबर पर रहने वाली कोमल को उनके पिता बेटी के बजाय बेटे की तरह ही देखते और ट्रीट करते थे।
लुधियाना के किसी प्राइवेट कपड़ा फ़ैक्ट्री में मज़दूरी (कपड़ा पेंटिंग) करने वाले कोमल के पिता प्रमोद प्रसाद ‘फॉलोअप बिहार’ से बातचीत में कहते हैं, ‘मेरे परिवार का तो सहारा ही छिन गया, कोमल तो हमारे लिए लोहा थी। मेरा कोई बेटा नहीं है लेकिन जब तक कोमल रही बेटों की कमी नहीं महसूस हुई। अब तो समझ नहीं आ रहा कि क्या करें, कहां जाएँ?’
सरकार और प्रशासन की ओर से किसी तरह की मदद और मुआवजे मिलने के सवाल पर वे कहते हैं, ‘अभी तक कोई सहायता नहीं मिली है, शुरू में जो एक राशि (15,000) मिलती है बस वो ही मिला है। आगे जब पटना फ़ोन कर रहे हैं तब कहता है कि एसएसपी के तबादले की वजह से देरी हो रही है’।
यहाँ हम पाठकों को बताते चलें कि बीते सप्ताह पटना के एसएसपी अवकाश कुमार का ट्रांसफ़र हो गया और नए एसएसपी पदभार सँभाल चुके हैं लेकिन परिवार का संबल गंवा चुके परिवार में हुई रिक्ति की शायद ही कोई भरपाई हो। सवाल तो अब भी यथावत हैं कि जब तेज़ रफ़्तार और बेख़ौफ़ गाड़ियाँ पुलिस-प्रशासन तक को रौंद दे रहीं तो फिर आम जन की कौन पूछे। बाद बाक़ी पटना की सड़कों पर सुशासन के बड़े-बड़े चस्पा पोस्टरों के हिसाब से तो सब कुछ चंगा सी…