द फॉलोअप डेस्क
बिहार पुलिस मुख्यालय स्थित सभागार में मंगलवार को महिला सशक्तिकरण, सुरक्षा और सम्मान पर आधारित संवादात्मक सत्र 'उड़ान' का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम में बिहार पुलिस के महानिदेशक विनय कुमार, अपराध अनुसंधान विभाग के अपर पुलिस महानिदेशक पारसनाथ, कमजोर वर्ग, सीआईडी के अपर पुलिस महानिदेशक अमित जैन, गृह विभाग की एडीजी/विशेष सचिव केएस अनुपम, विशेष शाखा की डीआईजी हरप्रीत कौर, पुलिस अधीक्षक आमिर जावेद और सैकड़ों महिला पुलिसकर्मी शामिल हुए। कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि के तौर पर बॉलीवुड अभिनेत्री नीतू चंद्रा ने भी शिरकत की।
डीजीपी विनय कुमार का संदेश
कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के तौर पर मौजूद डीजीपी विनय कुमार ने अपने संबोधन में महिला सशक्तिकरण पर जोर दिया। उन्होंने बताया कि 2007-08 में राज्य सरकार ने स्कूलों में लड़कियों की भागीदारी बढ़ाने के लिए साइकिल योजना शुरू की थी और पुलिस ने बच्चों को स्कूल भेजने में सहयोग किया था, जिससे ग्रामीण क्षेत्रों में सुरक्षा का माहौल बना। उन्होंने बताया कि बिहार में महिला थानों का संचालन महिला अधिकारियों द्वारा किया जा रहा है और यह देश के अन्य राज्यों में कहीं नहीं है। महिलाएं अब महिला थाने में बेख़ौफ़ होकर अपनी शिकायत दर्ज करा सकती हैं।
डीजीपी ने यह भी कहा कि समाज में अश्लीलता के खिलाफ सबको एकजुट होकर लड़ना होगा। उन्होंने तिलक जैसे कार्यक्रमों में होने वाले वल्गर गानों पर आपत्ति जताई और कहा कि महिलाएं अगर इस पर आवाज उठाएंगी, तो ऐसे गाने बंद हो जाएंगे। बच्चों के अच्छे पालन-पोषण को अहम बताते हुए उन्होंने कहा कि आज के समय में पेरेंटिंग बहुत जरूरी है। उन्होंने राज्य सरकार द्वारा महिला पुलिसकर्मियों के लिए 35 प्रतिशत आरक्षण की भी सराहना की और कहा कि अब बिहार में महिला पुलिसकर्मियों की संख्या पहले से कहीं अधिक है।
नीतू चंद्रा ने महिलाओं को प्रेरित किया
बॉलीवुड अभिनेत्री नीतू चंद्रा ने कार्यक्रम में उपस्थित महिला पुलिसकर्मियों को प्रेरित करते हुए कहा कि मिडिल क्लास से निकलकर उन्होंने हॉलीवुड तक का सफर तय किया और यह साबित किया कि महिलाएं किसी भी क्षेत्र में सफल हो सकती हैं। उन्होंने महिला पुलिसकर्मियों से अपील की कि वे अपनी उपलब्धियों को सोशल मीडिया पर साझा करें, ताकि लोग महिला शक्ति को पहचान सकें। नीतू चंद्रा ने अश्लील गानों पर कड़ी टिप्पणी करते हुए कहा कि ऐसे गाने समाज को बदनाम करते हैं और महिलाओं को असहज महसूस कराते हैं। उन्होंने महिलाओं से अपील की कि वे इन गानों के खिलाफ आवाज उठाएं, और साथ ही कहा कि यह जरूरी है कि महिलाएं खुद के बारे में सकारात्मक सोचें, न कि दूसरों की सोच के बारे में।
अपर पुलिस महानिदेशक अमित जैन का बयान
इस अवसर पर कमजोर वर्ग, सीआईडी के अपर पुलिस महानिदेशक अमित जैन ने भी संबोधित किया और समाज में जेंडर इक्वालिटी की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने बताया कि एनसीआरबी के आंकड़ों के अनुसार बिहार में महिलाओं के खिलाफ अपराध अन्य राज्यों के मुकाबले कम हैं। उन्होंने यह भी कहा कि क्राइम को रोकने के लिए सरकार और पुलिस द्वारा कई कदम उठाए जा रहे हैं, जैसे कि सीसीटीवी कैमरों की स्थापना और डायल 112 की टीम की सक्रियता। साइबर क्राइम के मामलों पर भी पुलिस अफसरों को ट्रेनिंग दी जा रही है। अंत में, अमित जैन ने सभी से अपील की कि महिलाओं की सुरक्षा को लेकर समाज के सभी वर्गों को एक साथ आना होगा, तभी हम महिलाओं को पूरी तरह से सुरक्षित कर पाएंगे।
गृह विभाग की एडीजी/विशेष सचिव केएस अनुपम ने अपने संबोधन में कहा कि सरकार ने बहुत एक्ट बनाए हैं, पॉक्सो तक बनाए गए हैं, पर क्राइम करने वालों को इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि सामने 5 साल की लड़की है या 15 साल की। इस तरह की ओछी मानसिकता के लोगों की नजर में समाज या महिलाओं की इज्जत कोई मायने नहीं रखती। हालांकि बिहार सरकार ने भी बच्चियों लिए बहुत कुछ किया है। हर लड़की को उड़ने का सपना देखना चाहिए, उड़ने की कोशिश करनी चाहिए। सबसे जरूरी सबको अपने घर से महिला सशक्तिकरण की सोच को फलीभूत करना चाहिए। जब तक आप खुद या आसपास से ऐसी सोच विकसित नहीं करेंगे, तब तक अच्छे समाज का निर्माण असंभव है।
महिला पुलिसकर्मियों को संबोधित करती हुईं विशेष शाखा की डीआईजी हरप्रीत कौर ने कहा कि बिहार में पुलिस के साथ-साथ हर फील्ड में महिलाओं की भागीदारी बढ़ी है। महिला सशक्तिकरण के लिए सबसे जरूरी वो फाइनेंशियल इंडिपेंडेंट बनें, खुद के पैरों पर खड़ी होंगी तो किसी के आगे झुकना नहीं पड़ेगा और इसके लिए एजुकेशन बहुत जरूरी है। जबतक आप अपने अधिकारों के नहीं जानेंगी, नहीं समझेंगी, तब तक नियम कानून और एक्ट का भी कोई मतलब नहीं है। जबतक आप खुद को स्ट्रांग नहीं समझेंगी, आपके अंदर मजबूती नहीं आएगी। सबसे जरूरी है लड़कियों को बचपन से ही सही माइंडसेट के साथ बड़ा करें, उनको सही-गलत का अहसास कराएं। लड़की को जुल्म सहना मत सिखाएं, उसे बचपन से ही बताएं कि जल्द या अपराध के खिलाफ आवाज उठाएं। घर का माहौल बच्चों की मेंटालिटी को बहुत हद तक इंफ्लूएंस करता है। उन्होंने महिलाओं से कहा कि आप खुद को इतना योग्य बनाओ कि आपके काम बोलें, बोलने की जरूरत ही न पड़े। हम बातें बहुत मरते हैं, पर डेली लाइफ में महिलाओं के बारे में कितना सोचते हैं, कितना करते हैं, यही सही मायने में महिला सशक्तिकरण का उदाहरण है। कार्यक्रम के अंतिम चरण में उपस्थित महिला पुलिसकर्मियों ने अभिनेत्री नीतू चंद्रा से सवाल भी पूछे।