पटना:
मगध यूनिवर्सिटी के कुलपति डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद पर आय से अधिक संपत्ति मामले का आरोप है। इसी कड़ी में स्पेशल विजिलेंस यूनिट की टीम उनसे पूछताछ करना चाहती है। उन्हें गिरफ्तार करना चाहती है लेकिन गिरफ्तारी के लिए उन्हें कोर्ट से अब तक वारंट नहीं मिला है। इधर कोर्ट का कहना है कि SVU की ओर से उनके पास कोई अर्जी नहीं आई है जबकि SVU ने दावा किया है कि उन्होंने अब तक 2 बार कोर्ट में अर्जी दी है लेकिन उधर से कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है। बता दें कि आय से अधिक मामले में कुलपति समेत 5 लोगों के खिलाफ केस दर्ज किए हुए थे। इनके ठिकानों पर रेड किए हुए 7 महीनों से अधिक का वक्त गुजर चुका है। लेकिन, कुलपति से अब तक पूछताछ नहीं हो सकी।
27 जून को SVU की ओर से दूसरी बार वारंट जारी करने की अपील
एक अखबार की रिर्पोट के अनुसार, SVU की ओर से 27 जून सोमवार को ही SVU की तरफ से पटना स्थित स्पेशल विजिलेंस कोर्ट में दूसरी बार गिरफ्तारी का वारंट जारी करने की अपील की जा चुकी है। इससे पहले भी अपील दाखिल कर कोर्ट से कुलपति की गिरफ्तारी का वारंट जारी करने मांग की गई थी। पर तब से लेकर अब तक उनकी मांग पर कोर्ट की तरफ से सुनवाई नहीं हुई है। इस कारण भ्रष्टाचार के मामले में SVU की टीम कुलपति से पूछताछ नहीं कर पा रही है।
फर्जी डॉक्यूमेंट्स बनाकर की काली कमाई
कुलपति डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद पर फर्जीवाड़ा कर सरकारी रुपयों की निकासी करके बड़े स्तर पर काली कमाई की है। इसके लिए कुलपति ने फर्जी डॉक्यूमेंट्स बनाए। जो लोग ड्यूटी करते ही नहीं थे, उनके नाम पर अपने लोगों से फर्जी सिग्नेचर कराए। इस फर्जीवाड़ा में जो उनका साथ नहीं देते थे उनपर कोई आरोप लगा कर उन्हें नौकरी से ही निकालवा दिया करते थे। यह खेल सिर्फ बोध गया स्थित मगध यूनिवर्सिटी में नहीं हुआ। यहां से पहले डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद भोजपुर जिला स्थित वीर कुंवर सिंह यूनिवर्सिटी के भी कुलपति रहे हैं। दोनों ही यूनिवर्सिटी से उन्होंने अवैध तरीके से खूब कमाई की।
17 नवंबर को कई ठिकानों पर छापेमारी
बता दें कि बीते 16 नवंबर को कुलपति के साथ ही इनके PA सुबोध कुमार, आरा स्थित वीर कुंवर सिंह यूनिवर्सिटी के फाइनेंशियल ऑफिसर ओम प्रकाश, पटना स्थित पाटलिपुत्रा यूनिवर्सिटी के रजिस्ट्रार जितेंद्र कुमार और उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के मेसर्स पूर्वा ग्राफिक्स एंड ऑफसेट व मेसर्स एक्सलिकट सॉफ्टवेयर प्राइवेट लिमिटेड के मालिक के खिलाफ IPC की धारा 120B, 420, R/W की धारा 12 के सेक्शन 13(2) & 13(B) और PC एक्ट 1988 के तहत FIR दर्ज की गई थी। इसके बाद 17 नवंबर को बिहार में बोध गया से लेकर उत्तर प्रदेश के गोरखपुर तक के ठिकानों पर छापेमारी की गई थी।