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बिहार में NH के पास रहनेवाले लोगों में आयेगी खुशहाली, सरकार करने जा रही ये काम 

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पटना 

बिहार सरकार के ग्रामीण क्षेत्रों में स्वरोजगार के अवसर बढ़ाने की दिशा में पर्यटन विभाग ने राज्य के सभी राष्ट्रीय राजमार्ग (एनएच) के किनारे हाट विकसित करने का निर्णय लिया है। यह पहल मिथिला हाट के मॉडल पर आधारित होगी। विभाग ने सभी जिला अधिकारियों को पत्र लिखकर हाईवे के किनारे स्थित तालाबों, झीलों और आहर-पोखरों के आसपास उपलब्ध भूमि की सूची मांगी है, जिनके पास सुलभ परिवहन सुविधा हो, ताकि उन्हें हाट के रूप में विकसित किया जा सके।
इस पहल से जहां एक ओर ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के अवसर बढ़ेंगे, वहीं स्थानीय किसानों को अपने उत्पादों को बेचने के लिए एक व्यापक बाजार मिलेगा। इसके साथ ही भोजपुरी और अन्य स्थानीय संस्कृति, लोक कला का प्रसार होगा, जिससे कलाकारों को अपने हुनर का प्रदर्शन करने और रोजगार प्राप्त करने का मौका मिलेगा।
लोकल स्तर पर रोजगार के नए अवसर उत्पन्न होंगे, जिससे सैकड़ों लोग प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार से जुड़ सकेंगे। इस संदर्भ में पर्यटन विभाग के सचिव लोकेश कुमार सिंह ने राज्य के सभी जिलाधिकारियों को पत्र भेजकर 15 दिनों के भीतर भूमि चयन का पूरा रिकॉर्ड देने का निर्देश दिया है। जमीन का चयन करते समय यह शर्त रखी गई है कि वहां कम से कम पांच एकड़ भूमि हो और पर्यटकीय सुविधाओं के विकास के लिए 10 एकड़ भूमि की आवश्यकता होगी।
सभी डीएम से प्राप्त रिपोर्ट में तालाब, झील या आहर का नाम, आकार, जिला और प्रखंड का नाम, भूमि का रकबा, मालिकाना हक, पर्यटकीय विकास के संभावनाएं और अतिरिक्त भूमि अर्जन की आवश्यकता आदि विवरण मांगे गए हैं।
मिथिला हाट के बारे में बात करें तो यह बिहार के मधुबनी जिले के झंझारपुर स्थित अररिया संग्राम गांव में स्थित है, और इसे दिल्ली हाट की तर्ज पर हाईटेक रूप में विकसित किया गया है। यहां 50 आधुनिक दुकानें, फूड कोर्ट, ओपन एयर थिएटर, प्रशासनिक भवन, मल्टी-पर्पस हाल, डॉर्मिट्री, झरना और पार्किंग क्षेत्र जैसी सुविधाएं उपलब्ध हैं। इसके अलावा, तालाब में पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए हाइटेक वोटिंग की भी व्यवस्था की गई है। नए हाट क्षेत्रों में इस तरह की सुविधाओं को प्रदान किया जाएगा।

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