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वर्षो से अपने ऊंचाई और चौड़ाई के कारण गोलघर (Golghar) लोगों में एक आकर्षण केंन्द्र बना हुआ है। आज भी पटना घूमने आए लोग एक बार गोलघर जरूर जाते हैं। यह धरोहर गांधी मैदान (Gandhi Maidan) के पश्चिम में स्थित है। ऐतिहासिक गोलघर 256 साल का हो गया है। उसका इतिहास बहुत पुराना है। लेकिन आज भी लोगों के मन में यह सवाल होता है कि गोलघर का निर्माण किसने करवाया? पटना का गोलघर किस वर्ष में बनाया गया? ये सारी जानकारी आपको आज हमारे इस खबर में मिलेंगी।
गोलघर बनाने का उद्देश्य
पटना स्थित गोलघर का निर्माण 256 साल पहले किया गया था। गोलघर का निर्माण अंग्रोजों द्वारा अनाज भंडारण के लिए किया गया था। साल 1770 में देशभर में भयंकर सूखा पड़ा। जिससे करीब एक करोड़ लोग प्रभावित हुए। जिसके बाद तत्कालीन गवर्नर जनरल वारेन हेस्टिंग ने इससे निबटने के लिए गोलघर के निर्माण का आदेश दिया। ब्रिटिश इंजिनियर कैप्टन जॉन गार्स्टिन ने अनाज के भंडारण के लिए गोल ढांचे का निर्माण साल 1784 में शुरू किया। यह 20 जुलाई साल 1786 में बनकर पूरा हो गया। गोलघर में 1,40,000 टन अनाज रखने की क्षमता है। आजादी से लेकर साल 1999 तक इस इमारत का उपयोग अनाज भंडारण के लिए किया जाता था लेकिन अब इसे बंद कर दिया गया है।
गोलघर नाम क्यों पड़ा?
गोलघर नाम रखने के बारे में कहा जाता है कि यह ऐतिहासिक बिल्डिंग चारों तरफ से गोल हैं यह गोल घेरा में निर्मित किया गया हैं इसलिए इसे गोलघर नाम दिया गया। इसकी संरचना और आकर्षण देखते बनती हैं गोलघर का ऊंचाई इतना ज्यादा हैं इसके ऊपर से पूरे पटना को देखा जा सकता हैं वैसे तो वर्तमान समय में कई ऊंची ऊंची बिल्डिंग बन गए हैं लेकिन आज भी गोलघर बहुत ही प्रसिद्ध हैं और पटना का पहचान हैं।
गोलघर में कितनी सिढियां
गोलघर पर उसके ऊपर चढ़ने के लिए सिढियां बनाया गया हैं गोलघर में 145 सीढ़ियां बनी हैं। जिसकी सहायता से ऊपर चढ़ा जाता है। और यह सीढ़ी गोलघर के चारों ओर घुमावदार आकार में बना है। गोलघर का मोटाई 3.6 और इसकी ऊंचाई 95 फीट लगभग माना जाता है। इसके साथ ही गोलघर के ऊपर एक छिद्र बनाया गया था जिसमें से कि अनाज ऊपर से अंदर रखने के लिए डाला जाता था लेकिन बाद में इस छिद्र को बंद कर दिया गया हैं वैसे वर्तमान समय में गोलघर में कोई भी समान नहीं रखा जाता हैं इसे एक पर्यटन स्थल के रूप में अब देखा जाता है।