डेस्क:
डेढ़ साल से हज़ारी बाग़ मेडिकल कॉलेज में जूनियर रेजिडेंट डॉक्टर के पद पर कार्यरत फर्जी डॉक्टर गिरफ्तार हो गया है। दैनिक भास्कर में छपी खबर के अनुसार डॉ. राम बाबू प्रसाद जांच में फ़र्ज़ी निकला। जिसके बाद सदर थाने में मामले को दर्ज़ करने के बाद उसे एक घंटे के भीतर गिरफ्तार कर लिया गया। उसे मेडिकल जांच के बाद के जेपी कारा भेज दिया गया है। फ़र्ज़ी डॉक्टर के गिरफ्तारी की सूचना मेडिकल के अधीक्षक को पुलिस ने भेज दी है । राम बाबू का मोबाइल फ़ोन पुलिस ने जब्त कर लिया है।
मामले का कब और कैसे हुआ खुलासा
हज़ारीबाग़ मेडिकल कॉलेज में कार्यरत डॉ. रामबाबू प्रसाद की खबर 8 मार्च को दैनिक भास्कर ने ही छापा था। जिसके बाद अस्पताल प्रशासन के कान खड़े हो गए ,उसने खबर को संज्ञान में लेते हुए राम बाबू के दस्तावेजों की जांच करवाई। अस्पताल के अधीक्षक डॉ. विनोद ने जांच के लिए उसके सारे दस्तावेज मेडिकल कॉउन्सिल ऑफ़ बिहार को भेजे। जांच रिपोर्ट मिलने के बाद राम बाबू का राज खुल गया। रिपोर्ट में यह सामने आया कि राम बाबू का रजिस्ट्रेशन न. बिहार के निवासी का है। लेकिन,यह राम बाबू कोई और है।
पूछताछ में कबूला सच
जांच रिपोर्ट आने के बाद हज़ारीबाग में तैनात डॉ. राम बाबू प्रसाद तथाकथित डॉ. राम बाबू सिंह हो गया। जब मामले की पूछताछ की गई तो उसने बताया कि वह बिहार के सारण जिले के दिगवारा थाना क्षेत्र के मिल्की गांव का रहने वाला है। उसके पिता का नाम देवनंदन सिंह है और उसका नाम राम प्रसाद सिंह हैं। जबकि वह मौजूद मेडिकल प्रमाण पत्र राम बाबू प्रसाद का होने के कारण अपने नाम के अंत में सिंह की जगह प्रसाद बताता था।
फर्ज़ीवाड़े के लिए बदली जाति
फ़र्ज़ी डॉ. रामबाबू अस्पाल में लोगो को खुद के रजक जाति होने की जानकारी देता था। अब मामले का खुलासा होने के बाद वह अपना पूरा नाम राम बाबू सिंह बताता है और खुद को अवधिया कुर्मी कहता है। पूछताछ में उसने बताया कि वह मरीजों का इलाज़ गूगल पर मौजूद जानकारी के अनुसार लिखता था। उसके इस गोरखधंधे में एक डॉक्टर भी उसकी मदद करता था।